नहीं चाहिए हमें ऐसी लाल फीताशाही
तुम तो यूपीएससी पास करके आते हो
सुना है हर खतरें और भविष्य को पहले ही भाप जाते हो
फिर कैसे लोगों के सामने ये लाचारी आई
इलाज न मिल पाने की वजह लाखों ने जान गंवाई?
तुम तो बाबू हो, सरकारी घर भी मिला है
मेरे टैक्स से तुम्हे वेतन और तुम्हारा परिवार चला है
जिसने तुम्हे टैक्स दिया उसके घर पर ये विपत्ति कैसे आई
नहीं चाहिए हमें ऐसी लालफीताशाही
एसी कमरों और आलीशान दफ्तर से बाहर तुम निकले होते
तो ऐसे दिन हम न देख रहे होते
तुम्हे क्या पता घर से अर्थी जाने के बाद कैसी होती है तन्हाई
नहीं चाहिए हमें ऐसी लालफीताशाही
जी हूजूरी से आगे भी तुमने सोचा होता
सच्चाई को खादी के सामने तुमने बोला होता
मैं नहीं कहता कि तुम ही जिम्मेदार हो
लेकिन हर मौत के पीछे तुम ही किरदार हो
देखों भारत की कैसी हो रही जग हसाई
नहीं चाहिए हमें ऐसी लाल फीताशाही
मेरे शब्दों का ये हाल हुआ है
आज तो निहाल भी मौत का मंजर देख बेहाल हुआ है।
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