Sunday, September 30, 2012

पांच साल हो गए

प्रिये
दिल को प्यार हुए पांच साल हो गए
दिल को बिमार हुए पांच  साल हो गए
आंखे चार हुए पांच साल हो गए  ।

पांच साल पहले रुसवाई थी जिंदगी मै
तुमने  नई रोशनी जगाई थी जिंदगी मै

दिल को प्यार हुए पांच साल हो गए
दिल को बिमार हुए पांच साल हो गए
आंखे चार हुए पांच साल हो गए  ।

पांच साल पहले थामा था तुम्हारा हाथ
वादा निभाऊगा जीवन भर साथ

दिल को प्यार हुए पांच साल हो गए
दिल को बिमार हुए पांच  साल हो गए
आंखे चार हुए पांच साल हो गए  ।



Saturday, September 22, 2012

पिताजी ने दिलाया मुझे एक और जीवन साथी

आज में फिर एक बार खुश हू,, हर बार की तरह मेरे पिताजी ने अपनी खुशियों और चिंताओ का त्याग करके मुझे लेपटाप दिला दिया... सच बताऊ इस मेरे पिताजी के इतने बड़े शौकीन है कि हमें कोई भी शौक की आदत पालने की जरुरत नही है सारे शौक पिताजी  के शौक के बहाने पूरे हो जाते है।

हमारे घर में हमेशा यह डर लगा रहता है कि पिताजी आज कुछ नया खरीद न लाये ... क्योंकि मै एक मध्यमवर्गी परिवार से संबध रखता हू महीने के आखिरी दो हफ्ते आते आते पैसे की कमी महसूस होने लगती है पर पिताजी सारी चीजों को एक तरफ करके हमारी शौक और पढाई को ज्यादा तवज्जों देते है।gud nite
 

 

 

दिल्ली में स्थानीय स्वायत्त शासन का विकास

सन् 1863 से पहले की अवधि का दिल्ली में स्वायत शासन का कोई अभिलिखित इतिहास उपलब्ध नहीं है। लेकिन 1862 में किसी एक प्रकार की नगर पालिका की स्थ...