अपना धर्म और ईमान भूले दिल्ली के सफदरगंज अश्पताल के डॉक्टर
जब किसी सरकारी कर्मचारी को देश कि सेवा करने का मौका दिया जाता है तो उससे एक सपथ ली जाती है कि वे देश में इमानदारी और अपने ईमान को ध्यान में रखकर देश कि सेवा करेगा |
लेकिन शायद अब सफदरगंज अश्पताल के डोक्टारो को वो सपथ याद नहीं है जिससे ये लगता है कि वे अप ईमान भूल चुके है
और जीने इस दुनिया में भगवान् का दर्जा दिया जाता है अब वो उन लोगो के लिए सैतान बन चुके है जो लोग ( मरीज ) इलाज के लिए सफदरगंज अश्पताल में इलाज के लिए इधर उधर भटक रहे है , कोई गर्भवती महिला है और कोई राजधानी जब डेंगू एक गंभीर रूप ले चूका है उस समय ये लगभग ७०० डॉक्टर और सभी महिला कर्मी भी अनिचित्कालिन हड़ताल पर चले गए है , जैसे इन्हें अपने देश की सेवा करने की जो शपथ ली थी इन्हें उसकी कोई परवाह ही नहीं क्या प्रशासन ये भूल गया है की इस शपथ का पालन न करने पर क्या कदम उठाया जाता है
खैर
दिल्ली में सुरक्षा कि मांग करने वाले सफदरगंज अश्पताल के के डाक्टरों को भला अब कोन समझाए कि जिस राजधानी में प्रतिदिन लूटपाट और बलात्कार और चोरी डकेती होती काफी बड़ी मात्र में होती हो |
और जिस राजधानी में सिर्फ हम उन घटनाओ के सिर्फ मुल्दर्शक बनकर रह जाते है और सरकार सिर्फ कार्यवाही तथा तफ्तीश के वादे करती हो उस राजधानी की सरकार से आप अपने सुराचा के लिए कैसे भरोषा कर सकते है , और जिस देश के बच्चे - बच्चे को जहा पैसे से हर काम हो जाता हो इन पर आप क्या भरोषा करेंगे |
चलो माना की हॉस्पिटल में आपको मरीजो के परिजनों से दर लगता है लेकिन आप ये सोचिये की घर में आप किस किस से डरते है ( कही चोरी न हो जाए ) ये दर तो आपको कभी न कभी तो लगता ही होगा
ये सब छोड़िए अब आप अपने इस देश की पब्लिक द्वारा दिए गए सम्मान यानि भगवान् के रूप को धारण कीजिये और और अपने फ़र्ज़ निभाइए नहीं तो आप जानते ही है की जब इंसान का विश्वाश भगवान् से उठता है वो क्या करने प[आर मजबूर होता है |
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