Sunday, February 28, 2010

बुरा ना मानो महगाई है !















होली आ गई है बाजारों में भीड़ पहेले की मुताबिक कम है क्योकि महगाई ने होली के रंगों को हल्का कर दिया है , इस बार होली का रंगों और पिचकारियो के आसमान छु चुके दामो ने लोगो के चेहरों के रंग उडा दिए है .........
भैया चारो तरफ महागाई है फिर कहा किसे सुध होली की आई है ?????????????
इस मोके पर चार पंक्तिया पेश करने की मन में आई है
होली आई है रंगों की
महगाई ने वाट लगाईं है रंगों की
पिचकारी भी चल रही है बिन पानी के
क्योकि पानी के दाम बढने के बाद होली आई है
चीनी के बड़े दामो से .......
गुजिया भी लग रही है फीकी
पापड़ भी कच्चे खाने पढ़ जायेंगे
क्योकि तेल बिन हम यही कर पाएंगे
कैसे जायेंगे रिश्ते दारो के घर
क्या पेट्रोल क्या शीला दीछित के चाचा भरवाएंगे
प्रणव ने बजट में महगाई ही महगाई दिखाई है
और इस बात के साबशी पाई है की उसकी सरकार फिर एक बार महगाई रोकने में नाकामयाब नजर आई है
भैया हो जाओ तैयार फिर आम आदमी की सरकार आम आदमी को मरने को आई है
क्योकि ये मुशीबत निहाल सिंह को सताई है इसलिए ये नै पोस्ट कर दी हमने भाई |

Wednesday, February 24, 2010

बेरोजगारी भुकमरी और मुग़ल गार्डेन


मेरा पसंदीदा चिट्ठाजगत फीड कड़ी
अभी भारत के सबसे बड़ी हस्ती मानी जाने वाली जगह राष्ट्रपति भवन आम जनता के लिए खोला गया है , इस बात की खबर मिलते ही हम सभी क्लास वालों ने ये जगह देखने के लिए मुग़ल गार्डेन का प्लान बनाया इसके लिए तारिक तय हुई २३ फरबरी २०१० और इस दिन चल दिए हम मुग़ल गार्डेन के सफ़र के लिए दिल्ली की बसों में धाके खाते हुए और जेबकतरों से बचते हुए और थोड पैदल यात्रा के जरिये पहुच गए हम मुग़ल गार्डेन
वह जाकर हमने अपना सामान (मोबाइल और अन्य बस्तुये ) जमा करा के अंदर जाने की तैयारी की कतार बना के अन्दर पहुचे तो वहा का नजारा कुछ और ही था में तो दंग था की जिस देश में गरीब को रहने के लिए जगह नहीं है और जहा आम आदमी भुकमरी और बेरोजगारी से मर रहा है उस देश के रास्त्रपति भवन में आर्बो रुपया सालाना खर्च किया जाता है ५०० एकड़ में फैले इस गार्डेन पर भारी मात्रा में पैसा भाहाया जाता है , ,,,,,,,,,,,,,,,,,
लेकिन ऐसे गार्डेन का हम क्या करेंगे जिस से आम आदमी और देश के किसी व्यक्ति का कोई फ़ायदा नहीं होता लाखो रूपये तो उसकी देख रेख में खर्च हो जाते है,,,,,,,,,,,,,
अब घुमने समय में सबकी प्रतिकिरियाओं पर दयां बड़ी गोर से दे रहा था की कोण क्या बोल रहा है यहाँ तरुण ने एक बात बोली की अगर रास्त्रपति बनने का कोई कोर्से होता तो कितना मजा आता
लडकिया भी बोलने लगी की हमे भी राष्ट्रपति बनना है वोह जगह क्योकि ५०० एकड़ में फैली हुई थी तो हम घूमते- घूमते थक गए थे |
कभी - कभी में ये सोचता था की आम आदमी को ही बिमारी लगाती है हमारे नेता क्यों नहीं बीमार पड़ते वो ऐसा क्या खाते है इसका जबाब मुझे मुग़ल गरेदं जाकर पता चल गया ........
जब इतनी सुंदर जगह जिस को मिल जाये तो भला वो कैसे बीमार पढ़
सकता है .............
क्या

Sunday, February 14, 2010

4 साल बाद हम मर जायेंगे


अभी हाल ही में शिवसेना के साथ विवादों से घिरी हुई फिल्म माय नेम इज खान इस फिल्म को शिवसेना ने इस फिल्म को खूब फ्री की पब्लिसिटी दिलाई खैर ,,,,,,,,,,,
इस फिल्म में मधुमखियो को बचाने का भी सन्देश दिया गया है,,,,,,,,,,,,,
हमारा मोबाइल जो हमारे पुरे दिन का एक हिस्सा बन गया है और जिसके बिना हम रह नहीं सकते वो इन मधुमखियो का यमराज साबित हो रहा है क्योकि इससे निकलने वाली किरने इन मधुमकियो का काल बनकर निकलती है जिससे ये मधुमखिया अपना रास्ता भटक जाती है और इन किरणों के जादा प्रभाव से वो हवा में ही दम तोड़ देती है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
एक और एक चंडीगढ़ में हुए शोध से ये पाया गया है की जिस दिन देश में सारी मधुमखिया ख़तम हो जाएगी उसके ४ साल बाद हम मर जायेगे
यानि अब जीना है तो जनाब हो सके तो हमारी दिनचर्या के हिसा बन चुके मोबाइल का उपयोग बंद कर दीजिये या हो सके तो इसका उपयोग कम कर दीजिये ,,,,,,,,,,,,,,
वर्ना जनाब एक दिन वो आयेगा इस एक विज्ञापन तो मोबाइल कंपनी एयर सेल दे रही है की चीते को बचाओ फिर उसकी की तरह विज्ञापन ना देना पड़े तो जनाब कोशिस कीजये की घर पर लगे लैंडलाइन फोन का उपयोग कीजिये,,,,,,,,,,,,,
नहीं तो उनके ख़तम होने के ४ साल बाद हम भी मर जायेंगे ,,,,,,,,

Monday, February 8, 2010

ये है कानून के रक्षक

ये तस्वीर मौजपुर रोड की है जहा एक पुलिस वाला जो खुद कानून का रक्षक है वो इस तस्वीर में कानून का बक्षक नजर आ रहा है

Saturday, February 6, 2010

वेलेंटाइन डे और मेरा जन्मदिन


14 feb ये दिन मेरे से जुड़ा हुआ है क्योकि इस दिन मेरा जन्म दिन आता है
लेकिन इस दिन के पीछे जो माना है की इस दिन दो प्यार करने वाले मिलते है और एक दुसरे से अपने प्यार का इजहार करते है, लेकिन सच माने तो ये सिर्फ वो ही लोग करते है जो पहेले से ही एक दुसरे को प्यार करते है ये मेरी अपनी सोच है इस दिन युवा वर्ग इस दिन को अपने से प्यार करने वाले से काफी उमीदे लगाये होते है लेकिन मेने आपको बताया की इस दिन मेरा जन्मदिन आता है लेकिन ये दिन को मेरे सात मानाने वाला यानि मुझसे प्यार करने वाला इंसान आज तक मुझे नहीं मिला शायद लोगो को मेरी बाते पसंद नहीं आती है, या शायद में ऐसी बाते नहीं करता या में और लोगो की तरह झूटी (गप्पे ) नहीं मर सकता हु चलो छोड़ो आप इन बातो को ध्यान मत दो अब में आपको hindisms.org के जरिये का वेलेंटाइन दिवस इतिहास बताता हु
वेलेंटाइन दिवस रोमन साम्राज्य के समय में शुरू हुई.
IIn प्राचीन रोम, फ़रवरी 14 छुट्टियां मनाने के लिए जूनो सम्मान था. जूनो रोमन देवी देवताओं की रानी थी. रोम के लोगों ने भी उसे महिलाओं और शादी की देवी के रूप में जानता था. अगले दिन, फ़रवरी 15, Lupercalia का पर्व शुरू कर दिया.
युवा लड़के और लड़कियों के जीवन को कड़ाई से अलग थे. लेकिन, जवान लोगों के सीमा शुल्क के नाम एक बैठक थी. Lupercalia के पर्व की पूर्व संध्या पर रोमन लड़कियों के नाम पर लिखा कागज के फिसल जाता है और जार में रखा गया.
एक जवान आदमी जार से एक लड़की का नाम आकर्षित होता है और फिर वह लड़की किसके साथ चुना त्योहार की अवधि के लिए भागीदार होगा. कभी कभी बच्चों के बाँधना एक पूरे वर्ष तक चली, और कई बार तो वे प्यार में गिर जाते हैं और बाद में शादी करेगी.
सम्राट क्लोडिअस द्वितीय रोम के नियम के तहत कई खूनी और अलोकप्रिय campaigns.Claudius ईद्भूर एक मुश्किल सैनिकों को अपनी सैनिक लीग में शामिल होने का समय हो रहा था में शामिल था. उनका मानना था कि कारण यह भी था कि रोमन लोगों को छोड़ उनके परिवारों को प्यार करता है या नहीं चाहता था.
नतीजतन, क्लोडिअस सभी विवाह और रोम में कार्यक्रम रद्द. अच्छा संत वेलेंटाइन क्लोडिअस द्वितीय के दिनों में एक रोम में पुजारी थे. वह और सेंट Marius ईसाई शहीदों सहायता प्राप्त और चुपके से विवाहित जोड़ों के लिए इस तरह के संत वेलेंटाइन काम और गिरफ्तार किया गया था और रोम के प्रीफेक्ट भी है, जो उसे पहले की निंदा की घसीटा को क्लब के साथ मौत को पीटा और उसका सिर काट दिया जाएगा.
वह फरवरी के 14 वें दिन शहादत का सामना करना पड़ा, 270 साल के बारे में. उस समय यह रोम, एक बहुत प्राचीन प्रथा, वास्तव में प्रथा थी, फरवरी के महीने Lupercalia, एक बुतपरस्त देवता के सम्मान में feasts में मनाते हैं. निर्देशित इन अवसरों पर, बुतपरस्त समारोहों के बीच एक किस्म, युवा महिलाओं के नाम एक बक्से में रखा गया, जहां से वे अवसर के रूप में पुरुषों द्वारा तैयार की गई.
जल्दी क्रिश्चियन चर्च के रोम में pastors इन feasts में पुत्रिायों के लोगों के लिए संतों के नाम प्रतिस्थापन द्वारा बुतपरस्त तत्व को खत्म करने का प्रयास. और के रूप में Lupercalia फरवरी के मध्य के बारे में शुरू हुई, pastors इस नए भोज के आयोजन के लिए संत वेलेंटाइन दिवस चुना लग गए हैं. तो ऐसा लगता है कि युवा वैलेंटाइन, या आगामी वर्ष के लिए संरक्षक के रूप में संतों के लिए पुत्रिायों चुनने के लोगों का रिवाज है, इस तरह से पैदा हुई.
उसके बाद हम युवा लड़कियों और पूरी दुनिया में लड़कों velentine दिन (फ़रवरी 14 febvery वर्ष पर प्रेमी दिन) मना शुरू करते हैं.

काश तुम सब एक खुश आप सब के लिए वेलेंटाइन दिवस है.
और अंत में आपको इस वेलेंटाइन दिवस पर आपको अपना मनपसंद प्यार करने वाला मिले .

Monday, February 1, 2010

पुलिस की लापरवाही

हर इतवार की तरह में अपने दोस्त के साथ बहार गुमने गया यानि अपने ही इलाके में घूम रहा था तो, रस्ते में हम बाते करते हुए जा रहे थे
और उधर से तरुण क पापा आ गए उनको देखकर हमने नमस्ते किया और अंकल जी सवाल किया की कहा जा रहे हो तो हमे बोला बस ऐसे ही घूम रहे है , ठीक है अंकल जी कह कर चल दिए
घूमते-घूमते हम ब्लॉग पर और भ्रस्टाचार पर बाते कर रहे थे तबी हमारी नजर एक भीड़ पर पड़ी मेने अपने दोस्तों से उस भीड़ की वजह जानने की अनुमति ली और उस भीड़ में जाकर खड़ा हो गया वहा मेने देखा की एक महिला के साथ बदसलूकी की वजह से ये भीड़ लगी हुई है
२ -४ लोगो को सुनने से पता चला की महिला अपनी ४ पहिये की कार को लेकर मार्केट आई हुई थी और उसने अपनी कार नो पार्किंग में लगाने की कोशिस कर रही थी तभी वहा से एक मोटर साइकिल सवार ने उसका विरोध किया तो महिला ने शेद्खानी के आरोप में पुलिस बुला ले
क्योकि पुलिस बोथ पास में ही था तो पुलिस इस बार जल्दी पहुच गई
और अब यहाँ पुलिस की करतूत तो देखिये पुलिस कर्मी एक दूसरी क्लास के बच्चे की कापी के एक तुकडे पर रिपोर्ट लिख रहे थे जैसे सरकार ने
उनको सिर्फ ये ही मुहैया कराइ हो मेरा तो यह देखकर खों खोल रहा था लेकिन मेरे दोस्तों ने वहा से मुझे पकड़ कर आगे ले आये उने लग रहा था की में कोई गड़बड़ करने वाला हु मतलब में उस पुलिस कर्मी का एक टुकड़े की रिपोर्ट पर विरोध करने वाला हु इसलिए वो मुझे आगे ले आये
अब मुझे उस पुलिस पर गुसा आ रही थी की ये पुलिस वाले साले अपनी ओकात तो दिखा देते है घुस लेने के लिए रिपोर्ट पक्की नहीं लिखी गई
और जबकि उस मोटर साइकिल सवार की कोई गलती नहीं थी तो उसे ठाणे ले जा रही थी क्योकि शिकायत करता महिला थी इसलिए इनकी तो .....
..........................

दिल्ली में स्थानीय स्वायत्त शासन का विकास

सन् 1863 से पहले की अवधि का दिल्ली में स्वायत शासन का कोई अभिलिखित इतिहास उपलब्ध नहीं है। लेकिन 1862 में किसी एक प्रकार की नगर पालिका की स्थ...