Tuesday, July 31, 2012

अन्ना के समर्थन मे कांटो पर लेटा युवक


नई दिल्ली (हि.स.) जनलोकपाल और केन्द्रीय मंत्रियों के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार को लेकर विशेष जांच दल के गठन की मांग को लेकर आंदोलनरत टीम अन्ना के अनशन में बढ़ रही भीड़ को देखकर लोगों में जोश भरता जा रहा है। इस दौरान अन्ना समर्थक अलग-अलग वेश-भूषा में अनशन स्थल पर देखे जा सकते हैं। इतना ही नहीं मंगलवार को उत्तर प्रदेश का एक युवक कांटो भरे पेड़ की डालियों पर लेटकर अन्ना के समर्थन में अनशनरत है। 
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के छोटे से कस्बें से आया हुआ एक युवक लोगों में आंदोलन का प्रतीक बन रहा है। 27 वर्षीय सत्यनारायण सिसोदिया बबूर के पेड़ की ड़ाली पर लेट कर अनशनरत हैं। उनका कहना है कि देश में युवाओं के होते हुए भी हमारे बुजुर्ग अन्ना हजारे अनशन पर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भ्रष्ट्राचार के कारण भारत माता काटों पर लैटी हुई हैं इसलिए अपनी भारत मां के लिए मैं भी कांटो पर लेट कर अनशन कर रहा हूं।
अक्सर देखा गया है कि अन्ना के आंदोलन में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए लोग अक्सर नए-नए तरीकों से आंदोलन में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। कोई अनशन में अपने शरीर पर तिरंगा छपावकर लोगों को आकर्षित कर रहा है। तो कोई कम्र उम्र के बच्चों के हाथ में तिरंगा थमा कर अकार्षण का प्रतीक बना हुआ है। कई लोंग सरकार पर व्यंग्यात्मक नारों से जनता को आकर्षित करने में लगे हैं।
इतना ही नहीं सत्यनाराण सिसौदिया के कांटों पर लैटने से उसकी पीठ बुरी तरह जख्मी हो चुकी है। जिसके कारण अन्ना हजारे ने भी सत्यनारयण से अपील की वो अपनी जिद को त्याग दें। लेकिन उसका कहना है कि वह अन्ना हजारे के अनशन को खत्म करने के बाद ही अब वह यहां से उठूगां।
युवक उत्तर प्रदेश से बारहवीं पास है। उसका कहना है कि देश में भ्रष्ट्राचार के कारण उसे नौकरी नहीं मिली जिसके कारण वह खेती करता है। युवक शादी-शुदा है उसकी एक बेटी भी है।

हिन्दुस्थान समाचार/31.07.2012/निहाल

Friday, July 13, 2012


निहाल सिहं । नई दिल्ली ।।  जेल में बंद करा देगें जानते नही हो हम कौन है। आजकल राजधानी दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के वकील यही कहते नजर आते है। कोर्ट के स्टांप पेपर बिक्री काउंटर समस्यओं का पहाड़ है। प्रशासन की मिली भगत से अवैध पार्किंग की समस्या आम बन चुकी है। धूप और बारिश में खडें होकर लोग स्टांप पेपर खरीदने को मजबूर है। स्टांप पेपर के खिड़की पर गंदगी आदि सब समस्याए आम बन चुकी है। न तो प्रशासन इसकी ओर ध्यान देता है । और दे भी क्यों क्योंकि कोर्ट में सब चलता है।
स्टांप पेपर बिक्री काउटर पर स्टांप पेपर बिक्री कर्मचारी की बदतमजी के लोग  आदि हो चुके है। कर्मचारी और कोर्ट परिसर में घूमते स्टांप पेपर के दलालों की मिली भगत से सब कुछ चल रहा है। क्योंकि दलाल और वकील मिलकर
कर्मचारी के हौसलें को बुलंद करते है।  भारी कमीशन के लालच में कर्मचारी सरेआम वकीलों और दलालो को खिड़की के अंदर से ही स्टांप पेपर को मुहैया करा देता है। जब लाइन में लगे हुए लोग इस बात को विरोध करते है, तो उन्हें विरोध करने के पर धमकियां दी जाती है कि ज्यादा विरोध किया तो जेल में बंद करा देगें। और पता भी नही चलेगा कहा गायब करा दिए जाओगें। कभी कभी तो ये लोग स्टांप काउंटर पर खडें लोगो के साथ गाली गलौच भी करते नज़र आ जाते है।
   दक्षिणी पुरी में रहने वाले निशांत का कहना है था कि में यहा पर पिछले एक घंटे से लाइन में लगा हुआ हूँ। लेकिन मेरा आगे सिर्फ चार व्याक्ति खडे हुए है लेकिन एक घंटा लाइन ख़डे होने पर मुझे स्टांप पेपर मिला है। स्टांप पेपर बिक्री कर्मचारी का व्यवहार बहुत ही खराब है।

विजय शेट ने कहा कि ये लोग आम जनता को वेबखूफ बनाते है । दलालों से मिली भगत होने के कारण ये दलालों को स्टांप पेपर बेच देते है। जिससे ये दलाल भारी कमीशन पर लोगों को बेच देते है ।  स्टांप पेपर बिक्री कर्मचारी जानबूझ कर लोगों के साथ गलत तरीके से पेश आता है ताकि मजबूर होकर लोग दलालों से स्टांप पेपर को खरीदे।
सूत्रो ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दलालों को एक ग्रोह बहुत ही सक्रीय है । और यह ग्रोह कर्मचारियों से मिलकर काम करता है ।जिससे कर्मचारियों को  भी अच्छा खासा कमीशन मिल जाता है ।

Sunday, July 8, 2012

रेहड़ी-खोमचों पर खाद्य सामग्री के लिए बनाए मानक


तरुण वत्स/ निहाल सिहं । अक्सर घर से बाहर जाकर आपका दिल गोल-गप्पे, फल, चाट आदि खाने का होता होगा। आप शौक व स्वाद में रेहड़ी, खोमचों से ऐसी वस्तुएं खा तो लेते हैं लेकिन इन रेहड़ी- खोमचे लगाने वालों की साफ-सफाई और गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देते।
अब भारतीय मानक ब्यूरो ने  जनता के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए रेलवे स्टेशनढाबों और गली-मोहल्ले में खाने पीने के सामान के रेहड़ी-खोमचे लगाने वालों के लिए साफ-सफाई और गुणवत्ता के मानक तैयार किए हैं।  बी.आई.एस द्वारा तैयार इन मानकों में रेहड़ी या ढाबा कहां लगाना हैखाना कैसे बनाना व परोसना हैकिस प्रकार का कच्चा मालसामग्री का इस्तेमाल करना हैतैयार भोजन को कैसे लाना-ले जाना है,उसे किस प्रकार के बर्तन में रखना है जैसी बातें शामिल हैं।
पिछले कई महीनों में फास्ट फूड व चाट-पकौडे जैसे खाने के सामान लगाने वालों की तादाद बढ़ी है। खासतौर से शहरी इलाकों में इनकी संख्या में भारी बढ़ोत्तरी देखी गई है। अक्सर ये लोग बस-अड्डों, रेलवे स्टेशनों, गली-मोहल्लों, बाजारों में खड़े होकर अपना सामान बेचते नज़र आते हैं। ये अपना माल सस्ता तो देते ही हैं, साथ ही आसानी से उपलब्ध भी हो जाते हैं।
शहरी क्षेत्रों में आने वाले इन लोगों की आय का स्रोत यही रेहड़ी व खोमचे होते हैं। ऐसे में बीआईएस द्वारा तैयार इन मानकों से खाद्य उद्योग के प्रति लोगों के विश्वास को बढ़ावा तो मिलेगा ही, साथ ही जता भी इन रेहड़ी-खोमचों से सामान खरीदते वक्त अपने स्वास्थ्य के प्रति कम चिंतित होगी।
मामले से जुडे बीआईएस के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘लोगों को स्वास्थ्यवर्धक और गुणवत्तापूर्वक खाने-पीने की चीज उपलब्ध कराने के इरादे से ये मानक बनाये गये हैं। इन मानकों में गुणवत्तापूर्ण कच्चा मालसामग्री का उपयोगपरिवहन तथा भंडारण के लिये इनसुलेटेड’ बर्तन का इस्तेमालप्रदूषण फैलने वाली जगह पर खाने-पीने की चीज नहीं बेचनासिर ढक कर खाना बनानाखाना परोसते समय हाथों में दस्ताने पहनना समेत साफ-सफाई का ध्यान रखनाकचरे को सही तरीके से फेंकनाकीट पतंगों से बचाव तथा इस विषय में व्यक्तिगत प्रशिक्षण के मानक शामिल हैं।’’
बीआईएस के अनुसार खाने को बार-बार गर्म करने से भी खाद्य पदार्थ दूषित हो सकता है। शिक्षा तथा जागरुकता की कमी से यह समस्या बढी है जिसे दूर करने की जरुरत है।

अधिकारी से जब यह पूछा गया कि इस तरह से खाद्य पदार्थ बेचने वालों के पास मानकों के अनुपालन के लिये संसाधन कहां से आएंगे तो उसने कहा कि लोगों में जैसे-जैसे इसके प्रति जागरुकता बढेगीखाद्य पदार्थ बेचने वाले मानकों को भी लागू किया जाएगा।’’ एक सवाल के जवाब में उसने कहा कि इन मानकों को अनिवार्य करने और उन्हें लागू करने की जिम्मेदारी सरकार पर है और सरकार को ही इस बारे में निर्णय करना है।
बीआईएस ने अबतक 18,700 मानक बनाये हैं जिसमें से केवल 83 अनिवार्य हैं। इन अनिवार्य मानकों में से 12मानक खाद्य पदार्थों से संबंधित हैं। बीआईएस ने इन मानकों को ऐसे दिशानिर्देश के रुप में तैयार किया है जिसके अनुपालन से खामेचेरेहडी तथा ढाबा में बिकने वाले खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता सुधरेगी और ग्राहकों को स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतर खाद्य पदार्थ मिल सकेंगे।

इससे पहले कई नगर पालिकाओं के स्वास्थ्य विभागों ने बस स्टैंडस्कूलों के बाहर ठेलों व अन्य चौराहों पर कचौड़ीसमोसेजलेबी, फल, चाट व अन्य खाद्य पदार्थों को खुले में रखकर बेचने पर रोक लगा दी थी। इसका कारण यह बताया गया था कि खुली पड़ी खाद्य सामग्री पर मक्खियाँमच्छरकीड़े आदि बैठते हैं। ऐसे खाद्य पदार्थ खाने से जन-स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है व गंभीर बीमारियां फैलने का डर होता है। भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा बनाए इन मानकों से रेहड़ी-खोमचे लगाने वालों की खाद्य सामग्री की गुणवत्ता में ज़ाहिर तौर से सुधार होगा। हालांकि समय समय पर इस बात की जांच आवश्यक होगी कि क्या रेहड़ी-खोमचे लगाने वाले इन मानकों का ठीक से पालन कर रहे हैं ताकि इन मानकों को बनाने का मकसद ठीक से पूरा हो सके और जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न हो

दिल्ली में स्थानीय स्वायत्त शासन का विकास

सन् 1863 से पहले की अवधि का दिल्ली में स्वायत शासन का कोई अभिलिखित इतिहास उपलब्ध नहीं है। लेकिन 1862 में किसी एक प्रकार की नगर पालिका की स्थ...