Tuesday, December 27, 2016

हुजुर आते-आते बहुत देर कर दी








नई दिल्ली । बहुत देर से दर पे आँखें लगी थीं,हुज़ूर आते-आते बहुत देर कर दी, मसीहा मेरे तूने
बीमार-ए-ग़म की दवा लाते-लाते बहुत देर कर दी। मशहूर हिन्दी फिल्म तवायफ के गाने के यह बोल दिल्ली भाजपा के साल के हिसाब पूरी तरह सटीक है। जी हां इस पूरे गाने दिल्ली भाजपा के पूरे साल का हिसाब चंदे सैंकड़ो में लगाया जा सकता है। क्योंकि दिल्ली भाजपा के लिए वर्ष 2016 आत्महत्या का साल रहा यां यू कह लिजिए कि अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने वाला साल रहा। हालांकि पार्टी के का दूसरा धड़ा मनोज तिवारी से कई उम्मीदें करके भी बैठा है । इस धड़े का मानना है कि तिवारी के आने से भाजपा को एक नई ऊर्जा मिलेगी और अगामी चुनाव में पार्टी को  जीत भी मिलेगी। क्योंकि पार्टी को पूर्वांचली कार्ड सफल होते दिखाई दे रहा है। मनोज तिवारी द्वारा की जा रही जनसभाओं में आने वाली भीड़ भी बढ़ गई है। पहले प्रदेश अध्यक्षों की भीड़ के लिए भाजपा को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ता था, लेकिन पार्टी को लोगों का अपार जनसमर्थन मिल रहा है। 

खुद भाजपाईयों का मानना है कि  30 नवम्बर 2016 को दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय की जगह मनोज तिवारी को बनाना देर से लिया गया फैसला साबित हो सकता है । क्योंकि इस फैसले में  पहले ही इतनी देर हो चुकी थी कि भाजपा दिल्ली में मई माह में हुए उप-चुनाव में दिल्ली विधानसभा चुनाव 2015 की तरह निगम में भी तीन सीटों पर संतोष करना पड़ा। याद दिला दें कि मई में तीनों निगम की 13 सीटों पर उप-चुनाव हुआ था। जिसमें भाजपा को केवल 3 सीटों से संतोष करना पड़ा था। खास बात यह रही कि दिल्ली में तीसरे नम्बर की पार्टी गिनी जाने वाली कांग्रेस भी दूसरे नम्बर पर आकर खड़ी हो गई। सत्तारुढ आम आदमी पार्टी पहले स्थान पर वर्चस्व बनाने में कामयाब रही। हालांकि उप चुनाव नतीजों में भाजपा के लिए राहत की खबर वोट प्रतिशत रहा। तीन सीटें तीने के बाद भी भाजपा 34 फीसदी वोट लेकर भाजपा वोट प्रतिशत में सबसे बड़ी पार्टी बनी है। यहां आम आदमी पार्टी को 29.93 वोट प्रतिशत वोट मिले थे। साथ ही कांग्रेस ने 24.87 वोट प्रतिशत के साथ जोर दार वापसी की थी। 
  1. - साल के आखिरी में अध्यक्ष बदलने का लिया फैसला
  2. - अगले साल निगम चुनाव में होगी मनोज तिवारी की परीक्षा
  3. - उप चुनाव में भी तीन में सिमट गई थी भाजपा


बॉक्स
जब तक फैसला हुआ तो बिखर चुकी थी पार्टी 
भाजपा आलाकमान ने 30 नम्बर को जब मनोज तिवारी को अध्यक्ष बनाकर भले ही पूर्वांचली राजनीति को दिल्ली में शिखर पर लाकर खड़ा कर दिया। लेकिन तिवारी के अध्यक्ष बनाने तक दिल्ली भाजपा पूरी तरह बिखर चुकी थी। पूर्व अध्यक्ष सतीश उपाध्याय को वर्ष 2015 के जनवरी से बदलने की चर्चा थी। जिससे कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में यह संदेश था कि अब जो भी करके दिखाना है वह नए अध्यक्ष के सामने करना है। इतने में कार्यकर्ता नए अध्यक्ष की रेस में चल रहे नेताओं की जी हुजुरी में लग गए। और दिल्ली में भाजपा काम ठप्प पड़ गया। न तो निगम के नेता सतीश उपाध्याय की सुनने को तैयार थे और न ही प्रदेश पदाधिकारी। जिसका खामियाजा यह हुआ निगम के उप चुनाव में पार्टी की गुटबाजी के नतीजे सामने आ गए। 

बॉक्स 

दिल्ली सरकार को बेनकाब करने में कामयाब हुए उपाध्याय

भले ही पार्टी में अकेलेपन की मार झेल रहे सतीश उपाध्याय को भाजपा ने अचानक हटा दिया। लेकिन बतौर अध्यक्ष रहते हुए दिल्ली भाजपा  दिल्ली की केजरीवाल सरकार को घेरने में सतीश उपाध्याय कामयाब रहे। दिल्ली जल बोर्ड का टैंकर घोटाला हो, या अनाधिकृत कॉलोनियों का मुद्दा हो। उपाध्याय सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने में कामयाब रहे। वह धरने प्रदर्शनों से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब रहे। हालांकि अपने अंहकार की वजह से उन्हें पार्टी के बढ़े नेताओं की गुस्से का भी शिकार होना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपनी बॉडी लैंग्वैज नहीं बदली। यही वजह रही कि आलाकमान ने उन्हें ऐसे समय पर हटाए जब सतीश उपाध्याय के अध्यक्ष बने रहने की चर्चाओं ने जोर पकड लिया। बतौर भाजपा विधायक विजेन्द्र गुप्ता भी सदन में सरकार की नीतियों के खिलाफ विपक्ष की उपस्थिती दर्ज कराता रहा। गुप्ता भी अपने नौकरशाही में अपने संबधों की वजह से दिल्ली सरकार को घेरने में कामयाब रहे। उन्होंने विधानसभा में टैंकर घोटाले को उठाया, जिसकी वजह से दिल्ली सरकार को टैंकर घोटाले की रिपोर्ट विधानसभा में पेश करनी पड़ी। जिसमें एसीबी में भी मामला दर्ज हुआ। 


हाईटैक नहीं हुई भाजपा
भले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ट्वीटर पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले पहले राजनेता हो, और वह तकनीक को राजनीति से जोड़कर लाभ लेने में पीछे नहीं रहते। लेकिन दिल्ली भाजपा तकनीक के तौर पर राजनीतिक समीकरणों के हिसाब से तीसरी पार्टी बन गई है। एक ओर सत्तारुढ आम आदमी पार्टी (आप) सोशल मीडिया और तकनीकी टैक्टिस से अपनी उपस्थिति दर्ज कराती हैं, लेकिन दिल्ली भाजपा के कई पदाधिकारी ऐसे हैं जो सोशल मीडिया पर सक्रिय नहीं है। तीसरे नम्बर की पार्टी कही जाने वाली कांग्रेस ने भी लाइव प्रेसवार्ताओं का प्रसारण शुरू कर दिया है, लेकिन भाजपा ने अभी तक इसके बारे में सोचा तक नहीं है। 

2017 होगा साबित करने वाला साल
केन्द्रीय स्तर के साथ-साथ दिल्ली भाजपा के लिए वर्ष 2017 अपने आप को साबित करने का साल रहेगा। बतौर अध्यक्ष बनने के बाद कलाकर मनोज तिवारी को टीम को साथ लेकर पूरी ऊर्जा को पार्टी के भलाई में लगाना होगा, ताकि वह निगम के होने वाले चुनाव में सत्ता को बरकरार रख सके। 



नए संगठन महामंत्री से मिल रही पार्टी को मजबूती
भाजपा के लिए वर्ष 2016 बदलाव भरा भी रहा। एक ओर साल के आखिर में पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष को बदला तो इससे पहले पार्टी में आए पूर्व वर्ष 2015 संगठन महामंत्री विजय शर्मा को बदलते हुए पार्टी ने दक्षिणी भारत के संघ कार्यकर्ता सिद्धार्थन को भी प्रदेश संगठन की जिम्मेदारी सौंप दी। जिससे पार्टी को एक नई दिशा भी मिलती दिखाई दे रही है। सिद्धार्थन का पूरी दिल्ली में अपने संपर्क है, क्योंकि बतौर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस)प्रचारक वह सभी विभागों में काम कर चुके हैं। उन्हें हर जिले और मंडल व नगर के समर्पित कार्यकर्ताओं की पहचान है। जिससे संगठन को खड़ा करने में मजबूती मिलने के आसार है। उनके इस प्रभाव से ही पार्टी में गुटबाजी भी काफी होती दिखाई दी है।
समर्पण को मिला ईनाम
जिलाध्यक्षों की नियुक्ति भी भाजपा ने साल के आखिर में की। जिससे पार्टी में अपनी आस्था रखने वाले कार्यकर्ताओं को पार्टी ने जिलाध्यक्ष नियुक्त करके उनके समर्पण का ईनाम दे दिया। इसमें ऐसे नए लोगों को जगह दी गई जो कि पार्टी के लिए समर्पित भाव से काम करते रहें। पार्टी ने गुटबाजी को खत्म करते हुए पेराशूट उम्मीदवारी को खत्म करने का फैसला लिया। जिससे केवल उन्ही लोगों को जिम्मेदारी दी जाएगी जो केवल काम करके दिखाएंगे। माना जा रहा है कि प्रदेश टीम में होने वाली नियुक्ति में भी इसी नियम का असर दिखाई देगा। वहीं वर्ष 2017 में होने वाले निगम चुनाव में भी इसी नियम को फॉलो किए जाने की पूरी संभावना है।
- निहाल सिंह, साभार : पंजाब केसरी


Thursday, September 22, 2016

व्हाट्सएप्प और फेसबुक को टक्कर देने पर औंधे मुंह गिरा गूगल



व्हाट्सएप्प और फेसबुक मैंसेजर को टक्कर देने चला गूगल औंधे मुंह गिरा है। आलम यह है कि दो दिन बीत जाने के बाद भी गूगल संभल नहीं पा रहा है। दरअसल पूरा मामला गूगल के हाल ही में लांच किए गए ALLO  एप्प का है। गूगल ने यह एप्प लांच किया तो सर्वर पर पड़े लोड की वजह एप्पलीकेशन ने काम करना भी बंद कर दिया। यही नहीं जब लोगों ने इसे डाउनलोड़ करने पर बेड कमैंट दिए तो गूगल माफी मांगते भी दिखाई दिया। आनन फानन में गूगल ने लोगों को ई-मेल भेजकर अपने सेवाओं को दुरूस्त करने आश्वासन भी दिया। और लोगों से कमैंट सुधारने का आग्रह किया। लेकिन बावजूद इसके एप्प ने सही काम करना शूरु नहीं किया। जिसकी वजह ALLO एप्प तो लोग डाउनलोड़ कर रहे हैं। लेकिन काम न करने की वजह से अपना गुस्सा गूगल प्ले स्टोर पर निकाल रहे है।
क्योंकि एप्प डाउनलोड़ होने के बाद साइन अप और साइन इन में लोगों को काफी दिक्कत आ रही है। वहीं 100 बार भी यूजर नेम अलग-अलग डालने पर भी पहले से लिया हुआ यूजर नेम बताया जा रहा है। जिसकी वजह से इस एप्प को डाउनलोड़ करने वाले लोग खासे परेशान है।


गूगल की सफाई----
Hi, we've had so many new Allo users today that our servers got tired! ;) Many thousands of users are signing up successfully, but unfortunately you and some others could not get through. Not to worry. We are massively upgrading the Allo system today so there's room for everyone! Please give it a another try later today and invite your friends.


Wednesday, September 14, 2016

गाय के गोबर के उपलो पर भारी डिस्काउंट

आपने कपडे से लेकर खाने पीने का सामान तो ऑनलाइन बिकता हुआ देखा, खरीदा और सुना होगा लेकिन गाय का गोबर ऑनलाइन बिके तो यह बात थोड़ी हैरान करने वाली है। लेकिन अब हैरान होने की जरुरत नहीं है। जी हा सही पकड़ा आपने अब आप गाय के गोबर के उपले भी ऑनलाइन खरीद सकते है। यही नहीं उपले बेचने वाली इस ऑनलाइन वेबसाइट ने भारी डिस्काउंट भी इन उपलो पर दे रखा है।
99 रुपए से 400 रुपए तक के उपले खरीदने का ऑप्शन इस वेबसाइट पर है। वेबसाइट ने इन उपलो की बिक्री घरो में होने वाले हवन के लिए शुरू की है। जिसे आप ऑनलाइन खरीदकर उपयोग कर सकते है।

http://search.shopclues.com/?subcats=Y&status=A&pname=Y&product_code=Y&match=all&pkeywords=Y&search_performed=Y&z=1&q=cow+dunke+cakes&auto_suggest=0&cid=0&dispatch=products.search

Tuesday, August 30, 2016

जब पत्रकारों को मिली शबाशी के बदले मौत

भारत में पत्रकारिता करना नहीं है आसान, ये दो बीट्स हैं सबसे खतरनाक
भारत उन पत्रकारों की मदद करने और उनकी रक्षा करने में विफल रहा है जो हिंसक धमकियों या फिर अपने काम के प्रति हमलों का सामना कर रहे हैं। ये कहना है पत्रकारों की सुरक्षा पर नजर रखने वाली एक अंतरराष्ट्रीय संस्था का, जिसने सोमवार को अपनी एक रिपोर्ट जारी की है।
न्यूयार्क की संस्था ‘द कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स’ (सीपीजे) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में दावा किया है कि उसने 1992 से भारत में पत्रकारों की हत्याओं के 27 मामलों का अध्ययन किया और उनमें से एक में भी किसी को सजा नहीं हुई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इन 27 पत्रकारों में से 50% से ज्यादा पत्रकार भ्रष्टाचार संबंधी मामलों पर खबरें करते थे।
42 पन्नों की इस विशेष रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में रिपोर्टरों को काम के दौरान पूरी सुरक्षा अभी भी नहीं मिल पाती है। सीपीजे ने अपनी रिपोर्ट में भ्रष्टाचार और राजनीति को दो ‘सबसे खतरनाक बीट’ बताया गया है।
सीपीजे ने कहा कि पिछले 10 साल में उसे सिर्फ एक ही ऐसा मामला मिला जिसमें एक पत्रकार की हत्या के मामले में एक संदिग्ध का अभियोजन हुआ और उस पर दर्ज हुए आरोप सिद्ध किए जा सके, लेकिन बाद में उसे भी अपील पर रिहा कर दिया गया। दूरदराज और ग्रामीण इलाकों में रिपोटिर्ंग करने वालों पर हिंसा और धमकियों का ज्यादा जोखिम होता है।
किसी पत्रकार पर हमला होने या हत्या होने पर मीडिया क्षेत्र और समाज में अकसर बहुत रोष नहीं जताया जाता जो कि खेद का विषय है। समिति ने अपने नतीजों पर पहुंचने तथा सुझाव के लिए तीन पत्रकारों जगेन्द्र सिंह, उमेश राजपूत और अक्षय सिंह की मौतों के मामलों का अध्ययन किया जिसकी हाल ही में हत्या कर दी गई थी।
जगेन्द्र सिंह की उत्तर प्रदेश में हत्या कर दी गई थी जबकि उमेश राजपूत की छत्तीसगढ़ में हत्या कर दी गई थी वहीं अक्षय सिंह की मौत मध्य प्रदेश में हुई थी।
संसद पत्रकारों के लिए एक देशव्यापी सुरक्षा कानून बनाए रिपोर्ट में इस बात की भी पुरजोर वकालत की गई है।

Sunday, August 28, 2016

और अब आप पहनिए खादी के जूते...



नई दिल्ली,  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि देश का हर युवा देश की माटी से जुड़े और स्वावलंबी बने। इसी योजना के तहत उन्होंने खादी को बढ़ावा देने की बात कही है। जिससे खादी घर घर तक पहुंचे, लोगों को रोजगार मिले. लोग अपना काम शुरू कर सकें. प्रधानमंत्री की इसी योजना को अमली जामा पहनाते हुए आज राजधानी दिल्ली के ताजमानसिंह होटल में युवा खादी ब्रांड को लांच किया गया। इस ब्रांड की खास बात यह है कि यह नए तरह से खादी युवाओं तक पहुंचाएगा। मल्टीनेशनल कंपनियों के कंपटीशन को द्यान में रखते हुए युवा खादी ब्रांड के अंतगर्त पहली बार खादी के जूते लांच किए हैं
देश में पहली बार खादी के जूते हाथ से काते और सिले गए हैं. युवा खादी ब्रांड और खादी के जूते देश को एक नया नजरिया देंगे. इस मौके पर सूक्ष्म , लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री गिरिराज सिंह, सांसद मनोज तिवारी, सांसद उदित राज, महंत आदित्य कृष्ण गिरि भी मौजूद थे. खादी के जूते का अनावरण करते हुए गिरिराज सिंह ने कहा कि देश  में एमएसएमई मंत्रालय युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई योजनाएं लाया है. इससे लोगों को रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा हमें खादी को बढावा देने से घर घर में रोजगार पहुचेगा। वहीं सांसद मनोज तिवारी ने भी खादी के जूतों को देख काफी प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा कि खादी की पहुंच घर घर तक है, चूंकि सूत महिलाएं कात लेती हैं इसलिए इसे बढावा देने से महिलाओं बच्चियों में भी रोजगार बढ़ेगा। खादी और स्वदेशी चीजों को युवा ही आगे बढ़ा सकते है, सरकार ने युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के लिए कई योजनाएं पेश की हैं जिससे वो बैंको से लोन लेकर अपना काम शुरू कर सकते हैं। और कई लोगों को रोजगार भी दे सकते हैं.युवा खादी के निदेशक और फाउंडर पीयूष प्रियदर्शी ने कहा कि अभी युवा खादी ब्रांड ने जूते लांच किए हैं, जिसकी कीमत १००० रूपए से लेकर 2००० तक है. हमने ये जूते युवा भारत को सोचकर डिजाइन किए हैं. और हमें यकीन है कि हमारे युवा इस खादी के जूतों को खूब पसंद करेंगे, आगामी दिनों में युवा खादी ब्रांड के अंतर्गत महिलाओं के कपड़े और एसेसरीज को लांच करने की योजना है।
पीयूष ने बताया कि युवा खादी के अंतर्गत हमने गैर सरकारी संस्था धरोहर से भी हाथ मिलाया है. और खादी के जूते, बैग, कपड़े और एसेसरीज के निर्माण में उनका अहम योगदान है.पीयूष ने कहा कि हमारा मकसद लोगों तक रोजगार पहुंचाना भी है और अभी हमारे यहां धरोहर के साथ मिलकर एक हजार महिलाएं और युवा कारीगर काम कर रहे हैं.

Sunday, July 17, 2016

सिग्नेचर ब्रिज : आखिरकार पकने लगी बीरबल की खिचड़ी...

पर्यटन विभाग कर रहा है हर सप्ताह रिव्यू
-     तेजी से हो रहा है काम, 1600 करोड़ पहुंचा बजट
नई दिल्ली (निहाल सिंह) दिल्ली के सिग्नेचर ब्रिज निर्माण में तारीख पर तारीख दिए जाने का समय अब खत्म हो गया। तेजी से हो रहे काम के चलते सिग्नेचर ब्रिज के शुरू होने की उम्मीद जाग गई है। सरकार की माने तो इस साल के अंत तक इसे शुरू कर दिया जाएगा। ब्रिज के शुरू होने के बाद दिल्ली के न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि ब्रिज से गुजरने वालों को दिल्ली का सुंदर नाजारा भी देखने को मिलेगा। पाइल 23 का काम पूरा होने के बाद अब विभाग वैलकैप का काम शुरू करने वाला है। वैलकैप के तहत दोनों प्लरों को जोड़ा जाएगा।
दिल्ली के पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा ने बताया कि सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण में पाइल 23 की समस्या आ रही थी, जिसे विभाग ने पिछले दिनों सुलझा दिया है। अब वैलकैपिंग का कार्य किया जा रहा है। कपिल मिश्रा ने उम्मीद जताई की ऩए साल के तौहफे में दिल्ली वालों को सिग्नेचर ब्रिज सौंप दिया जाएगा। मिश्रा ने कहा कि हमारी सरकार आने के बाद सिग्नेचर ब्रिज के काम में तेजी आसानी से देखी जा सकती है। पहले ऐसे लगता था कि सिग्नेचर ब्रिज केवल एक सपना भर बनके रह जाएगा। लेकिन सरकार में आने के बाद हमने इस काम को गंभीरता से लिया है और युद्धस्तर पर हर काम को बखूबी किया जा रहा है। मिश्रा ने कहा कि हम काम जल्दी करना चाहते हैं, लेकिन सभी सावधानियों को ध्यान में रखकर। क्योंकि अगर छोटी सी गलती बहुत बड़ी परेशानी बन सकती है।

 केजरीवाल सरकार का भी ड्रीम प्रोजेक्ट बना सिग्नेचर ब्रिज

पूर्ववर्ती कांग्रेस शासित शीला सरकार द्वारा शुरू किया गया महत्वकांक्षी सिग्नेचर ब्रिज प्रोजेक्ट अब केजरीवाल सरकार का भी ड्रीम प्रोजेक्ट बन गया है। शायद यही वजह है कि सिग्नेचर केजरीवाल सरकार के लोक निर्माण विभाग के मंत्री सतेन्द्र जैन और पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा इस पर पल-पल की खबर रख रहे हैं। सरकार ने इस प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए साप्ताहिक बैठक भी शुरू की हुई है।  बता दें कि यमुना नदी पर 1997 बस हादसे में मारे गए बच्चों की स्मृति में बन रहा है। विदेशी तकनीक पर बन रहे ब्रिज में 150 मीटर ऊंचे टावर स्टील के  बने हैं। टावर के साथ-साथ यमुना पर बनने वाले पुल के लिए 250 मीटर लंबा स्पैन होगा जिसमें 8 लेन होंगी। टावर को वजीराबाद बैराज के सामने दो बड़े पिलरों पर खड़ा किया जाएगा।


यह देश का ऐसा पहला सिंगल पाइलन ब्रिज होगा जिसके बीच के सिरे के एक तरफ  का बैलेंस 18 मोटी केबलों से सधा होगा और उसके नीचे कोई पिलर नहीं होगा और दूसरी ओर मात्र चार केबले होगी। यह पूरा ब्रिज स्टील का बना हुआ और तारों से झूलता हुआ होगा। हाई तकनीक से बन रहा यह ब्रिज पूरी तरह से भूकंपरोधी होगा। ब्रिज के बीचोंबीच बनने वाले मेहराब की ऊंचाई 154 मीटर की होगी और उसके ऊपर विशेष प्रकाश व्यवस्था होगी ताकि रात मे वह दूर से भी दिखाई दे।  सरकार का मानना है कि पर्यटकों को कैलीफोर्निया व शंधाई की तरह दिल्ली में भी गगनचुंबी टावर पर आकर्षक सिग्नेचर ब्रिज लहराता दिखाई देगा। जिस तरह से विदेशों में लिबर्टी ऑफ स्टेचू, क्वीन टावर, लंदन ब्रिज आदि है वैसे ही आने वाले समय में सिग्नेचर ब्रिज नई कलात्मक पहचान बनेगा। जो कि दिल्ली क्या भारत की नई पहचान बनेगा। ब्रिज के निर्माण की जिम्मेदारी गैमन इंडिया की है और कंपनी ब्राजील, इटली की कंपनी के साथ ज्वांइट वेंचर के रूप में इस पुल का निर्माण कर रही है।
सिग्नेचर ब्रिज की रूपरेखा वर्ष 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों के देखते हुए बनाई गई थी। सरकार की कोशिश थी कि राष्ट्रमंडल खेलों से पहले इसको शुरू करके विदेशों से आए पर्यटकों का मनमोह लिया जाए। लेकिन कई कारणों से यह काम केवल कागजों पर बनकर रह गया था। वर्ष 2004 में कांग्रेस की सरकार ने सिग्नेचर ब्रिज बनाने का फैसला लिया था। उस समय इसकी लागत 450 करोड रूपए रखी गई थी। इसके बाद इसके डिजाइन को परिवर्तिंत करके इसे माइल स्टोन के रूप में परिवर्तित किया गया। जिसका बजट 1100 करोड़ रूपए कर दिया गया। लेकिन अब इसका बजट 1600 करोड़ रूपए पहंच गया है।

साभार: पंजाब केसरी

Sunday, July 10, 2016

दिल्ली केंदित मीडिया होना विकास के लिए खतरा...

अब कहा है रवीश कुमार

पत्रकारिता में दाखिला लिया था, उस दौरान दिल्ली में यमुना का जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया था। तो पूरे दिन सभी समाचार चैनलों पर दिल्ली की यमुना की तस्वीर यमुना में बोट लेकर पत्रकारों द्वारा जल का बहाव दिखाने की कोशिश, यमुना में बहकर आ रही सब्जियां जैसी खबरे खूब दिखाई जा रही थी। चूंकि मैं पत्रकारिता का छात्र था तो उस दौरान कई दूसरे क्लासमेट अन्य राज्यों से पढ़ने आए थे। उस समय में खबरों का आकलन करने की सोच धीरे-धीरे विकसित हो रही थी। जो दोस्त बाहर से पढ़ने आए थे वह इतने घबराएं हुए नहीं थे, जितने उनके माता पिता घबराए हुए थे। रोजाना दोस्तों को हर तीसरे चौथे घंटे पर फोन आता था कि बाढ़ का पानी कही तुम्हारे घर के पास तो नहीं पहुंचा, अगर ऐसा कुछ हैं तो वापस घर आ जाओं जब बाढ़ चली जाएगी तो वापस चले जाना। मेरे दोस्त कभी हंसते हुए तो कभी गंभीरता से अपने अभिभावकों को विश्वास दिलाते कि उन्हें कुछ नहीं होगा। उस समय समझ आया कि एक माता पिता के लिए अपने बच्चे को दूसरे राज्य में पढाई के लिए भेजना कितना चिंता करने वाला काम होता है। खैर लेकिन बारिश बंद हुए बाढ़ नहीं आई। हा शास्त्री पार्क के कुछ मकानों पर घुटने भर का पानी आ गया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ कि पूरी दिल्ली बाढ़ से ठप्प हो गई है। मुश्किल से मुश्किल 30-40 हजार अंदाजन लोग इस बाढ से प्रभावित हुए होंगे।
दूसरी घटना पत्रकारिता की पढाई पूरी करने के बाद वर्ष 2013 में देखने को मिली उस समय मैं भी सक्रिय रूप से पत्रकारिता में आ गया था। हिन्दुस्थान समाचार न्यूज एजैंसी में काम कर रहा था, और दूसरी ओर मेरा नवोदय टाइम्स की लांचिंग से पहले ज्वाइनिंग की तैयारी कर रहा था। उस दौरान भी दिल्ली में बाढ़ आई। नवोदय टाइम्स के लिए मैने बाढ़ प्रभावितों से बातचीत करके खूब खबरें की। उस समय चूंकि ज्वाइनिंग नहीं हुई थी तो खबरों पर नाम नहीं छप रहा था, लेकिन कुछ दिनों ज्वाइनिंग की प्रक्रिया भी पूरी हो गई और खबरों पर नाम  भी छपने लगा। चलिए मान लिया की मैंने दिल्ली के अखबार होने के नातें दिल्ली की घटना की जानकारी अपने समाचार पत्र के लिए एकत्रित की। लेकिन क्या राष्ट्रीय चैनलों की इतनी जिम्मेदारी नहीं बनती है कि वह राष्ट्रीय खबरों को प्रमुखता से दिखाएं। कल रात को समाचार देख रहा था, जिसमें पूर्वोत्तर के असम गुवाहाटी में आई बाढ़ की खबर को रात के बुलेटिन में करीब 30 सैंकेड की जगह मिली।  मैं हैरान तो नहीं था लेकिन मन में चिंता जरूर हुई की अब हमारा मीडिया कितना दिल्ली केंद्रित हो गया है। चाहे चुनाव हो या फिर सामाजिक समस्या दिल्ली की ज्यादा कवर की जाती है। अगर यही खबरें अगर पूर्वोत्तर और दक्षित भारत से आएं तो उन्हे रात के बुलेटिन में जगह दी जाती है।  मैं चिंतित था कि समाज को आईने दिखाने वाले समाचार चैनलों के लिए पूर्वोत्तर या दक्षिण भारत की खबरों को कितना गंभीरता से लेते है। क्योंकि वहां चैनल वालों को बाजारी लाभ नहीं मिलता। जो मीडिया चैनल दिल्ली के यमुना के थोड़े से पानी बढ़ने को लेकर अपनी छाती पीटता है वह एक लाख से ज्यादा लोगों को प्रभावित करने वाली असम के गुवहाटी की बाढ़ को केवल औपचारिकता मात्र की खबरों में जगह देता है। दिल्ली से कोई भी रिपोर्टर वहां कवर करने नहीं जाता है। अगर दिल्ली में बाढ़ आ जाती है तो खुद एनडीटीवी के तथाकथित भेड़ चाल से अलग चलने वाले रवीश कुमार भी नांव में बोट लेकर हाल दिखाना शुरू कर देते है। लेकिन गुवहाटी की बाढ़ में यह नजर नहीं आए। जहां पर एक एक मंजिल से ऊपर पानी घरों में घुस गया है। लोगों के लिए खाने के लाले पड़े है।  मेरा मानना है कि ऐसा करना समाचार चैनलों के लिए ऐसा करना देश के विकास के घातक है। क्योंकि जब देश के सीमावर्ती राज्यों की जानकारी राष्ट्रीय मीडिया में नहीं आएगी,तो उससे उन राज्यों में रहने वाले लोगों में हीन भावना आएगी।

Thursday, July 7, 2016

सबसे आगे हम





1 जुलाई 2016 को पंजाब केसरी में प्रकाशित



 7 जुलाई को दैनिक हिन्दुस्तान में प्रकारशित

खबर की सॉफ्ट कॉपी
देश और विदेश में राजधानी दिल्ली की छवि सुधारने के लिए दिल्ली सरकार जुलाई के मध्य में भिखारी मुक्त अभियान शुरू करने जा रही है। इस अभियान के तहत न केवल भिखारियों को पकड़ा जाएगा, बल्कि भिखारियों का पुर्नउद्धार हो सकें इसके लिए विशेष अभियान भी सरकार चलाएगी। मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली का सामाजिक कल्याण विभाग ने भिखारी मुक्त अभियान की योजना तैयार की है। जिसके पहले चरण की कड़ी में जुलाई में शुरू किया जा रहा है।

दिल्ली सरकार के विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि भिखारी मुक्त अभियान के लिए दिल्ली सरकार ने विशेष अभियान चलाऩे का फैसला लिया है। जिसके जरिए दिल्ली के विभिन्न इलाकों में भिखारियों को पकड़ा जाएगा। दिल्ली के समाज कल्याण मंत्री संदीप जैन दिल्ली के कनाट पैलेस में इस अभियान का शुंभआरंभ करेंगे।इसके लिए दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर दिल्ली सरकार ने सात टीमें गठित की है। यह टीमें दिल्ली के विभिन्न इलाकों मे जाकर भिखारियों को पकड़ेगी। सूत्रों ने बताया कि अभियान का पहला चरण परिक्षण के आधार पर चलेगा। अगर यह प्रयोग सफल हुआ तो आगे भी यह जारी रहेगा।

समाज कल्याण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देश की राजधानी होने की वजह न केवल अन्य राज्यों के लाखों पर्यटक दिल्ली में आते हैं बल्कि विदेशों से भी आने वाले पर्यटकों की भी संख्या की बढ़ी तादात होती है। लेकिन जब वह पर्यटक दिल्ली के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर जाते हैं तो उन्हें भिखारियों का सामना करना पड़ता है। कई घटनाएं सामने आई है कि भिखारियों की वजह से पर्यटकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है। इसकी वजह से पर्यटक दिल्ली की नकारात्मक छवि लेकर जाते है। अगर दिल्ली को भिखारी मुक्त बना दिया गया तो

होगी विडियों ग्राफी, चालू होंगे मोबाइल कोर्ट

दिल्ली सरकार के सूत्रों ने बताया कि भिखारियों को पकड़ने के लिए चलने वाले इस विशेष अभियान के तहत भिखारियों की विडियों ग्राफी की जाएगी। जिसके बाद भिखारियों के लिए बनी मोबाइल कोर्ट में इन्हें इस विडियों के आधार पर पेश किया जाएगा। जानकारों की मानें तो जब भिखारियों को पकड़ा जाता है तो उन्हें मोबाइल कोर्ट में पेश किया जाता है। लेकिन अक्सर देखने में आया है कि भिखारी को जब कोर्ट में पेश किया जाता है तो उनका भिखारी होने को साबित नहीं किया जाता। क्योंकि इसके पीछे एक बढ़ा रैकेट काम करता है जो इन मोबाइल कोर्ट से भिखारियों को रिहा करा लेता है। इसी को देखते हुए दिल्ली सरकार भिखारी मुक्त अभियान के लिए खुफिया कैमरों के साथ समान्य कैमरों से भी रिकार्डिंग करेगी।

लामपुर में पुर्नउद्धार सैंटर में दी जाएगी रोजगार की ट्रैनिग

सूत्रों के मुताबिक भिखारी मुक्त दिल्ली अभियान के तहत दिल्ली सरकार जिन भिखारियों को पकड़ेगी उनका पुर्नउद्धार लाम पुर स्थित भिखारी पुर्नउद्धार केन्द्र में किया जाएगा। जहां महिलाओं को सिलाई की ट्रैनिंग तो वहीं पुरूषों को रोजगार की विभिन्न विधाएं सिखाई जा

Tuesday, July 5, 2016

अब चैन की लंबी-लंबी सांस ले उपाध्याय

आज का दिन दिल्ली भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय के लिए चैन की सांस लेने का है। अभी आपकों समझ नहीं आया होगा। लेकिन मैं आपको समझाने की कोशिश करता हू। समझ आए तो नीचे प्रतिक्रिया बॉक्स में कमैंट और शेयर के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं।
आईए अब में आपको समझाता हूं कि आज से उपाध्याय क्यों चैन की सांस ले सकते है। और यह चैन की सांस 10 अशोका रोड़ से होते हुए 14 पंडित मार्ग तक पहुंच रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले तीन-चार माह से दिल्ली की राजनीति में सक्रिय हुए विजय गोयल अब केन्द्र में आज राज्य मंत्री बन गए है। विजय गोयल की सक्रियता से न केवल प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी के पहिए ढीले हो गए थे बल्कि पूरा डी4 चिंता में पड़ गया था। आए दिन विजय गोयल की गतिविधियों को देख दिल्ली भाजपा सत्ता रूढ केजरीवाल से जितनी डरती नहीं थी, जितना डर अपने ही भाजपा सांसद विजय गोयल से भाजपा को लग रहा था। प्रदेश अध्यक्ष और डी-4 को चिंता थी,अगर विजय गोयल प्रदेश अध्यक्ष बन गए तो उनका क्या होगा। जिसकी वजह डी4 विजय गोयल को गरियाने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे। खैर अब तो विजय गोयल केन्द्र की राजनीति में पहुंच गए हैं तो डी-4 की मुश्किलें कम हो गई है।
लेकिन मुश्किलें डी-4 की कम हुई है भाजपा की नहीं। दरअसल पिछले दो से तीन सालों में कांग्रेस मुक्त भारत के नारे ने खूब जोर पकड़ा। जिसकी शुरूआत दिल्ली से दिखाई दी। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव हुए और 15 साल से सत्ता में बैठी कांग्रेस के केवल 8 विधायक जीतकर आए। भाजपा 32 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन गई लेकिन 28 सीटें जीतकर उस समय नौसिखिया कही जाने वाली आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल ने सरकार बना ली। खैर उसके बाद जो हुआ वह सबकों पता है। कांग्रेस की आठ सीटें देखकर कांग्रेस मुक्त भारत के नारे ने और जोर पकड़ा तो वर्ष 2014 के आम चुनाव में नरेन्द्र मोदी ने लोगों के दिलों पर जादू करके न केवल पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई बल्कि पिछले कई दशकों के रिकार्ड को भी तोड़ दिया। जिसके बाद भाजपाई कांग्रेस मुक्त भारत के नारे को और जोर से बोलने लगे। इस नारे को बोलते समय भाजपाई अब कमर से नीचें का भी जोर लगाते थे। खैर उसी कांग्रेस मुक्त नारे के बीच दिल्ली से भाजपा मुक्त दिल्ली की आवाज आई। हुआ यूं कि वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने न केवल कांग्रेस मुक्त दिल्ली की बल्कि 67 सीटें जीतकर और तीन सीटें भाजपा को दान में देकर भाजपा मुक्त दिल्ली के अघोषित अभियान की शुरूआत कर दी। जिसका नतीजा वर्ष 2016 के मई माह में हुए 13 सीटों के निगम उप चुनाव में दिखाई दिया। विधानसभा में तीन सीटें केजरीवाल से दान में लेकर आई भाजपा फिर तीन सीटें लेने में कामयाब रही। और जिस दिल्ली से कांग्रेस मुक्त भारत के अभियान की शुरूआत हुई उसी दिल्ली से भाजपा मुक्त दिल्ली की शुरूआत हो गई। जिसकी प्रमुख वजह केन्द्रीय भाजपा आलाकमान रहा। और आगे भी ऐसा चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं होगा कि दिल्ली मुक्त भाजपा हो जाए। क्योंकि दिल्ली में भाजपा की राजनीति खत्म हो रही है। एक तो दिल्ली में दो सांसद ऐसे हैं जो दिल्ली से जबरदस्ती सांसद बनें हुए है। जिसमें पहले रामराज (उदितराज) (जी हां उदित राज नहीं रामराज, यह वह जो कभी राम का विरोध करते हुए अपने नाम के आगे से राम शब्द  को हटा लिया था और उदित लगा दिया था) (एक वरिष्ठ पत्रकार के बातचीत के आधार पर) दूसरे सांसद जो नाचने गाने के लिए जाने जाते है। लोकसभा चुनाव जीते तो उन्होंने साफ कार्यकर्ताओं से कह दिया कुछ भी हो जाए वह आगे से दिल्ली से लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेगे।  खैर बहुत ज्ञान हो गया। अब असली बात यह है दिल्ली भाजपा का क्या होगा। तो मैं बेजानदारू वाले की तरह कह सकता हूं कि निगम के फरवरी में होने वाली चुनाव में भाजपा कमाल करेगी, और तीनों निगम में एक-एक-एक सीट कर अपने तीन के आंकड़े को दोहराएगी। इसकी प्रमुख वजह सबसे पहले प्रदेश ईकाई होगी और दूसरी राष्ट्रीय ईकाई।  हालांकि माना जा रहा है कि राष्ट्रीय ईकाई के लिए यह लड्डू बांटने का अवसर होगा। क्योंकि सूत्र बताते है कि केन्द्रीय आलाकमान दिल्ली भाजपा ईकाई से विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर खुश नहीं है। जिसमें प्रमुख वजह दिल्ली की गुटबाजी थी। अगर दिल्ली भाजपा खत्म होती है तो केन्द्रीय भाजपा के लिए यह खुशी की बात होगी।
आगे की बताता हू। दरअसल प्रदेश अध्यक्ष को बदलने को लेकर काफी दिनों से चर्चा चल रही है । डेढ साल से अब बदला अब बदला, लेकिन अभी तक नहीं बदला वाला हाल है। जिसका असर यह है कि जिलों के अध्यक्ष से लेकर मंडल का कोई कार्यकर्ता प्रदेश आलाकमान की सुनने को राजी नहीं है। जिसकी प्रमुख वजह भाजपा का आधार घट रहा है। पहले अगर उपाध्याय को दोबारा के कार्यकाल के लिए घोषित कर दिया होता तो बात इतनी न बिगडती। लेकिन जमीनी हकीकत की मानें तो भाजपा का हर कार्यकर्ता और नेता प्रदेश अध्यक्ष बदलने की मांग कर रहा है। बस यह है कि वह अपनी बात कह नहीं पा रहा है। मुझे खुद दिन में 10-20 फोन कॉल आते हैं जिसमें कार्यकर्ता बदलने की बात पूछते है। इसलिए अब रायता इतना फैल चुका है कि बिना बदले बात नहीं बनेगी।  


नोट- यह व्यक्तिगत विचार है, इसका किसी संस्थान या व्यक्ति से कोई संबध नहीं है...

Saturday, June 18, 2016

सबसे आगे हम जून 2016 भाग-1


 प्रेसवार्ता करते आप प्रदेश संयोजक दीलीप पांडे, नितिन त्यागी, राजेश गुप्ता











आम आदमी पार्टी द्वारा जारी रिलिज 17-6-2016

http://aamaadmiparty.org/press-release-17-june-2016


तमाम प्रमुख वैबसाइट ने प्रमुखता से किया प्रकाशित

AAJTAK 

http://aajtak.intoday.in/story/aam-aadmi-party-delhi-convener-dilip-pandey-attacks-on-bjp-and-congress-1-874536.html

NEWS TRACK

http://www.newstracklive.com/news/AAP-dilip-pandey-says-bjp-and-congress-negotiate-for-mcd-in-delhi-1063370-1.html

NDTV 

http://www.ndtv.com/delhi-news/congress-bjp-have-no-moral-right-to-question-on-office-of-profit-aap-1420309


 TRIBUNE 
http://www.tribuneindia.com/news/delhi/bjp-created-illegal-posts-in-delhi-civic-bodies-aap/253239.html

THE HINDU
http://www.thehindu.com/news/cities/Delhi/bjp-cong-gave-perks-to-municipal-leaders-aap/article8743623.ece

PUNJAB NEWS EXPRESS

http://punjabnewsexpress.com/national/news/bjp-created-illegal-posts-in-delhi-civic-bodies-says-aap-50752.aspx

WEBINDIA

http://news.webindia123.com/news/Articles/India/20160617/2885073.html

















Sunday, May 22, 2016

बेटियां कर रही है नाम रोशन


- बेटी बचाओं बेटी पढाओं अभियान को मिल रही है मजबूती
- हरियाणा में बढ़ा सैक्स रेशियों
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बेटियों के लिए महत्वकांक्षी योजना बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं का असर दिखाई दे रही है। यही वजह है कि पिछले कुछ समय से बेटियों के नाम रोशन करने वाली मौकों और अवसरों की तादात बढ़ती जा रही है। हाल ही में जब सिविल सर्विसेस की परीक्षा में टॉपर में जब टीना डाबी ने टॉप किया तो टीना डाबी की भी खूब सरहाना हुई। इसके बाद एक-एक करके लड़कियों के नाम रोशन करने वाले अवसर सामने आने लगे।
हाल ही में सीबीएसई के 12 वी कक्षा के नतीजे भी आए। यहां भी लड़कियों ने खूब बाजी मारी। हर राज्य में न केवल लड़कों की तुलना में लड़कियों ने टॉप किया बल्कि पासिंग प्रतिशत भी लड़कियों का ज्यादा था। दिल्ली की सुकुति ने सीबीएसई में टॉप किया तो वहीं  जिस हरियाणा में लड़कियों के जन्म को श्राप माना जाता था उसी हरियाणा की कुरूक्षेत्र में रहनी वाली पलक गोयल ने टॉप किया तो करनाल की सोम्या तीसरे स्थान पर रही। वहीं शारिरिक अक्षम की कैटेगरी में भी हरियाणा के फरीदाबाद की रहने वाली मुदिता जगोटा ने पहला स्थान प्राप्त किया।
बन रहा है लड़कियों के लिए महौल
समाज सेविका ट्वीकल कालिया बताती है कि ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री की बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना के बाद ही लड़किया टॉप करने लगी है, लेकिन इस योजना के शूरू करने के बाद एक भारी बदलाव आया है। लड़कियों को लेकर देश में एक महौल बना है कि लड़कियों के पैदा होने में कोई दोष नहीं है बल्कि लड़कियां लड़कों के मुकाबुले ज्यादा नाम रोशन कर सकती है। भाजपा नेता रूबी यादव कहती है कि केन्द्र की योजनाओं का ही असर है कि अब बेटी बचाओं बेटी पढाओं योजना के माध्यम से लड़कियों को प्रोत्साहन मिल रहा है।
हरियाणा में बढ़ा लिंगानुपात
बेटी बचाओं बेटी पढाओं अभियान के चलाने के बाद हरियाणा के लिंगानुपात में भी बढोत्तरी देखी गई है। राज्य सरकार द्वारा जारी आंकडो की माने तो बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओअभियान की वजह से प्रदेश में जन्म के समय लिंगानुपात अब पहले से बेहतर हुआ है। उन्होंने बताया कि राज्य में अब प्रति 1000 लड़कों पर 889 लड़कियां जन्म ले रही हैं। उन्होंने सशक्त बेटी सशक्त भारतजागरूकता मार्च को हरी झंडी दिखाने के बाद कहा कि बच्चों का लिंगानुपात 900 तक पहुंचाने के लिए कोशिशें की जा रहीं हैं।


अप्रैल 2016










दिल्ली में स्थानीय स्वायत्त शासन का विकास

सन् 1863 से पहले की अवधि का दिल्ली में स्वायत शासन का कोई अभिलिखित इतिहास उपलब्ध नहीं है। लेकिन 1862 में किसी एक प्रकार की नगर पालिका की स्थ...