Sunday, May 22, 2016

बेटियां कर रही है नाम रोशन


- बेटी बचाओं बेटी पढाओं अभियान को मिल रही है मजबूती
- हरियाणा में बढ़ा सैक्स रेशियों
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बेटियों के लिए महत्वकांक्षी योजना बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं का असर दिखाई दे रही है। यही वजह है कि पिछले कुछ समय से बेटियों के नाम रोशन करने वाली मौकों और अवसरों की तादात बढ़ती जा रही है। हाल ही में जब सिविल सर्विसेस की परीक्षा में टॉपर में जब टीना डाबी ने टॉप किया तो टीना डाबी की भी खूब सरहाना हुई। इसके बाद एक-एक करके लड़कियों के नाम रोशन करने वाले अवसर सामने आने लगे।
हाल ही में सीबीएसई के 12 वी कक्षा के नतीजे भी आए। यहां भी लड़कियों ने खूब बाजी मारी। हर राज्य में न केवल लड़कों की तुलना में लड़कियों ने टॉप किया बल्कि पासिंग प्रतिशत भी लड़कियों का ज्यादा था। दिल्ली की सुकुति ने सीबीएसई में टॉप किया तो वहीं  जिस हरियाणा में लड़कियों के जन्म को श्राप माना जाता था उसी हरियाणा की कुरूक्षेत्र में रहनी वाली पलक गोयल ने टॉप किया तो करनाल की सोम्या तीसरे स्थान पर रही। वहीं शारिरिक अक्षम की कैटेगरी में भी हरियाणा के फरीदाबाद की रहने वाली मुदिता जगोटा ने पहला स्थान प्राप्त किया।
बन रहा है लड़कियों के लिए महौल
समाज सेविका ट्वीकल कालिया बताती है कि ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री की बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना के बाद ही लड़किया टॉप करने लगी है, लेकिन इस योजना के शूरू करने के बाद एक भारी बदलाव आया है। लड़कियों को लेकर देश में एक महौल बना है कि लड़कियों के पैदा होने में कोई दोष नहीं है बल्कि लड़कियां लड़कों के मुकाबुले ज्यादा नाम रोशन कर सकती है। भाजपा नेता रूबी यादव कहती है कि केन्द्र की योजनाओं का ही असर है कि अब बेटी बचाओं बेटी पढाओं योजना के माध्यम से लड़कियों को प्रोत्साहन मिल रहा है।
हरियाणा में बढ़ा लिंगानुपात
बेटी बचाओं बेटी पढाओं अभियान के चलाने के बाद हरियाणा के लिंगानुपात में भी बढोत्तरी देखी गई है। राज्य सरकार द्वारा जारी आंकडो की माने तो बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओअभियान की वजह से प्रदेश में जन्म के समय लिंगानुपात अब पहले से बेहतर हुआ है। उन्होंने बताया कि राज्य में अब प्रति 1000 लड़कों पर 889 लड़कियां जन्म ले रही हैं। उन्होंने सशक्त बेटी सशक्त भारतजागरूकता मार्च को हरी झंडी दिखाने के बाद कहा कि बच्चों का लिंगानुपात 900 तक पहुंचाने के लिए कोशिशें की जा रहीं हैं।


अप्रैल 2016











गर्मी में वॉटर पार्क, यानि मस्ती पॉवरकूल

दिल्ली में वॉटर पार्क में बुझाएं गर्मी

बढ़ती गर्मी ने दिल्ली का पारा बढ़ा दिया है। ऐसे में दिल्ली में बने यह वॉटर पार्क आपकी गर्मी को दूर कर सकते है। दिल्ली के अलग-अलग कौने में बने वॉटर पार्क में आप अपनी गर्मी को ठंडा कर सकते है। मौज मस्ती और खाने के साथ पूरा परिवार भी इन वॉटर पार्क में जा सकता है। साथ ही पूरे दिन को मस्ती से भरा बना सकता है। अगर आप गर्मी में परिवार के साथ एक दिन के मस्ती करना चाहते हैं तो यह वॉटर पार्क आपके एक दिन को मस्ती भरा बना सकते है।

दो से तीन दिन का भी होता है पैकेज
अक्सर वॉटर पार्क की सोच कर ऐसा लगता है कि यह सिर्फ एक दिन के लिए हो सकता है। लोगों  में आम धारणा है कि सुबह से लेकर शाम तक इन वॉटर पार्क में मस्ती की जा सकती है। जबकि ऐसा नहीं है। दिल्ली के कई नामी गिरामी वॉटर पार्क है, जिसमें 2-3 दिन का पैकेज होता है। जिसमें न केवल पूरा परिवार आउटिंग की योजना बना सकता है बल्कि पूरा परिवार एक साथ पूरी मस्ती कर सकता है। कई वॉटर पार्क्स तो दिन में मौज मस्ती के साथ रात में स्थानीय कलाओं के साथ संस्कृति को भी दिखाते है।
किफायती मौज मस्ती
वॉटर पार्क को अगर किफायती मौज मस्ती का नाम दिया जाएं तो यह कोई गलत नहीं होगा। दिल्ली में करीब आधा दर्जन वॉटर पार्क चल रहे है। सभी की फीस का मिला जुला असर निकाला जाए तो यह काफी किफायती है। इसमें एक दिन का पैकेज  अगर आप लेना चाहें तो  3800 रूपए में मिल सकता है, तो वही दोपहर 12 बजे से 12 रात तक का पैकेज भी सात हजार तक मिल सकता है। इस पैकेज की खास बात यह है कि छोटी फैमली इसका पूरा लाभ ले सकती है। जिसमें एक पति-पत्नी के साथ दस साल से कम उम्र का बच्चा भी इस पैकेज में शामिल हो सकता है।  वहीं अगर आप फैमली के साथ वॉटर पार्क में दो –तीन दिन की मस्ती करना चाहते हैं तो 7200 रूपए तक का पड़ सकता है।
योजना बनाने से पहले ले पूरी जानकारी
अगर आप दिल्ली में वॉटर पार्क में मौज मस्ती करने जाने का प्लान बना रहे हैं तो आप इंटरनेट या फोन के माध्यम से वॉटर पार्क की सुरक्षा और पैकेज की पूरी जानकारी ले लेँ । जाने से पहले  इंटरनेट पर वॉटर पार्क की जानकारी ले। ताकि वहां पहुंचने पर जेब खाली होने का एहसास न हो। ज्यादातर वॉटर पार्क अपने हिसाब से पैकेज बनाते है। इ
सलिए जाने से पहले पैकेज में खाने की जानकारी के साथ लोगों की संख्या का भी पता कर लेँ।
- निहाल सिंह (लेखक दिल्ली के प्रतिष्ठित अखबार में कार्यरत्त है)


दिल्ली में स्थानीय स्वायत्त शासन का विकास

सन् 1863 से पहले की अवधि का दिल्ली में स्वायत शासन का कोई अभिलिखित इतिहास उपलब्ध नहीं है। लेकिन 1862 में किसी एक प्रकार की नगर पालिका की स्थ...