दीपावली से दिवाली का दौर
दीपावली का अर्थ सामान्यत दीपो को जलाकर खुशिया मानाने वाला त्यौहार माना जाता आ रहा है । क्योंकि भारतीय ग्रंथो व पुराणों की माने तो १४ वर्ष का वनवास को पूरा करने के बाद पुरोशोतम श्री राम रावण का वध तथा लंका पर विजय प्राप्ति के पश्चात वह अयोध्या लोटे थे , और इस दिन राम के अयोध्या लोटने की खुसी में अयोध्या वाशियों ने अपनी खुसी जाहिर करने के लिए अपने-अपने घरो में घी के दीपक जलाये थे । जिससे सारी अयोध्या नगरी दीपो की रौशनी म डूब गई थी।
दीपावली ने अपने कई दौर देखे है । इसमें एक दौर है 90 का जिसमे हम मिटटी की बनी मूर्तियों की पूजा की जाती थी । व मिटटी के दीपक और सफेद रंग की मोटी मोमबत्ती को जलाया जाता था। और राम के भक्ति संगीत का भी आयोजन किया जाता था, लेकिन जैसे जैसे दीपावली से दीपावली शब्द दिवाली में सिकुड़कर छोटा हो गया है क्यांेकि आज कल जादातर देखा जाता है । कि लोग दीपावली को दिवाली बोलने लगे है, लेकिन वैसे वैसे ही दिवाली मानाने तरीके व रिवाजे में भी बहुत बड़ी संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है।
चाइनीज दिवाली
आज हम जब हम आधुनिक होने का दम भरते है । लेकिन हम बिना चाइनीज वस्तुओ के कोई भी त्यौहार नहीं मना सकतें। अब हमारे दीपो की जगह चाइनीज मोमबत्तिया व बिजली से चलने वाली लड़ियो ने जगह ले ली है। और यहाँ तक की दीपावली पर जिन देवी -देवताआंे की पूजा की जाती है, वह देवी देवता भी भारतीओं के नहीं है। उनकी जगह भी चाइनीज मुर्तियो ने ले ली है। अर्थात अब भगवान् भी हमारे नही है, और इस समय इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है की हम कितने आधुनिक है । अब दिपावली भक्ति संगीत की जगह बॉलीवुड के तेज धमक वाले गानों का दौर चल पड़ा है । खुशिया जाहिर करने के लिए मिठाइयाॅ बाटी जाती थी, लेकिन मिलावट खोरी के चलते अब हम मिठाइयो की जगह पर हम कुरकुरे व मुह मीठा करने के लिए चोकलेट व स्नेक्स का भी सहारा ले लेते है
-निहाल सिंह
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