दो दिलो के मिलने की एक अजीब सी कहानी है
जो आज आपसे बताने की मन की बात मानी है
पढते- पढते हुई जवा हुई थी एक प्रेम कहानी है
जब नहीं पाता था प्यार का असली अर्थ
जबकि ये हमारी कहानी है
स्कूल में दो दिलो के मिलने की
एक स्कूल में बनी थी ये प्रेम कहानी
एक दिन उनके परिचय से जब हमारा परिचय हुआ
छवि बनाई
कुछ दिनों बाद पार्क में मिलना हुआ
क्या वो दिन थे , जब हम साथ थे
दूर रहकर भी वो हमारे और हम उनके पास थे
मोहबत में कुर्बान कर दी हमने अपनी
आज फिर उनकी याद सता रही है
ये दिल की आवाज फिर उन्हें पुकार रही है
लगता है नाराज है वो हमसे
इस दिल की आवाज
नाराजगी का कारण को बतला दो

नहीं है समय तुमरे पास ये भी बताने का
बस अपनी दिल की नाराजगी तो समझा दो
में इन्तजार करूँगा तुमारा ...
फुर्सत मिले तो आ जाना मेरे दिल को आज भी है तुमारा इन्तजार ...
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