आज में फिर एक बार
खुश हू,, हर बार की तरह मेरे पिताजी ने अपनी खुशियों और चिंताओ का त्याग करके मुझे
लेपटाप दिला दिया... सच बताऊ इस मेरे पिताजी के इतने बड़े शौकीन है कि हमें कोई भी
शौक की आदत पालने की जरुरत नही है सारे शौक पिताजी के शौक के बहाने पूरे हो जाते है।
हमारे घर में हमेशा यह
डर लगा रहता है कि पिताजी आज कुछ नया खरीद न लाये ... क्योंकि मै एक मध्यमवर्गी
परिवार से संबध रखता हू महीने के आखिरी दो हफ्ते आते आते पैसे की कमी महसूस होने
लगती है पर पिताजी सारी चीजों को एक तरफ करके हमारी शौक और पढाई को ज्यादा तवज्जों
देते है।gud nite
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