तुझे पाने के लिए बांधे हैं मैंने मन्नतों के धागे
तू पास है तो खुदा से अब क्या ही मांगे
तेरे साथ बैठू तो दिल राजधानी सा धड़कता जावे
हैं वो मंजिल मेरी तू जिसके लिए हमने रब्बा से खैर मनावे
तो क्या आज बोल दू वो दिल की बात
जिन ख्याबों को देखने के लिए जागे है पूरी रात
आज थाम लेना मेरा हाथ, वादा है फिर खुदा भी न ये छुड़ा पावे
रहूंगा तेरा उम्रभर सात फेरे में जो गांठे हैं बांधी
आए तुझ पर मुसीबत तो उम्र मेरी हो जाए आधी
मेरे ख्वाब हैं जन्नतों से आगे
हो हमारा घर वहां जिसे किसी की नजर न लागे
तेरे आने से खुशियां भी निहाल
तुझे बता दिया दिल का हाल
तुझे पाने के लिए बांधे हैं मैंने मन्नतों के धागे
तू पास है तो खुदा से अब क्या ही मांगे
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