Sunday, May 16, 2021

गांव बचा लय

आओं चलो गांव बचा लय
हम भूखें न रहे चलो किसान बचा लें

ताकि तुम्हारें पेट के लिए दाता अन्न उगा लय
आओं चलों गांव बचा लें

जिन तारों को गिनकर तुम्हें गिनती सिखाई थी
उनकी छांव में पलने घरों के चिरागों को बचा लें
आओं चलों गांव बचा लें

कोरोना तो चला जाएगा
पर,घर का कोई चला गया तो उसे कोई वापस न ला पाएगा

इससे पहले सर्दी जुकाम से यह कभी नहीं धबराएं थे
इनके लिए तो मुसीबत के दिन जाड़े और सूखे में ही आए थे

चलों उठों स्कूलों कों अस्पताल बनवा लय
आओं चलों गांव बचा लय

खर्चा ज्यादा न होगा, बस कुछ दिन की पगार लगा लें
आओं चलों गांव बचा लें

ज्यादा ही नहीं कम से कम उन्हें विश्वास दिला दें
आओं चलों गांव बचा लें

शहर जाकर जो तुमने जो ऊंचे मकान बना लय 
उनके नींव डालने वाली मिट्टी को उठा लें
आओं चलों गांव बचा लें

संकट की घड़ी, विपदा बहुत हैं बड़ी
चलों टीके का जन जागरण करवा दें
आओं चलों गांव बचा लें

मौका है मातृ भूमि की सेवा का
मदद का हाथ बढ़ाकर गंगा निहाल नहा लें
आओं चलों गांव बचा लें



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