तरुण वत्स/ निहाल सिहं । अक्सर घर से बाहर जाकर आपका दिल गोल-गप्पे, फल, चाट आदि खाने का होता होगा। आप शौक व स्वाद में रेहड़ी, खोमचों से ऐसी वस्तुएं खा तो लेते हैं लेकिन इन रेहड़ी- खोमचे लगाने वालों की साफ-सफाई और गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देते।
अब भारतीय मानक ब्यूरो ने जनता के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए रेलवे स्टेशन, ढाबों और गली-मोहल्ले में खाने पीने के सामान के रेहड़ी-खोमचे लगाने वालों के लिए साफ-सफाई और गुणवत्ता के मानक तैयार किए हैं। बी.आई.एस द्वारा तैयार इन मानकों में रेहड़ी या ढाबा कहां लगाना है, खाना कैसे बनाना व परोसना है, किस प्रकार का कच्चा माल, सामग्री का इस्तेमाल करना है, तैयार भोजन को कैसे लाना-ले जाना है,उसे किस प्रकार के बर्तन में रखना है जैसी बातें शामिल हैं।
पिछले कई महीनों में फास्ट फूड व चाट-पकौडे जैसे खाने के सामान लगाने वालों की तादाद बढ़ी है। खासतौर से शहरी इलाकों में इनकी संख्या में भारी बढ़ोत्तरी देखी गई है। अक्सर ये लोग बस-अड्डों, रेलवे स्टेशनों, गली-मोहल्लों, बाजारों में खड़े होकर अपना सामान बेचते नज़र आते हैं। ये अपना माल सस्ता तो देते ही हैं, साथ ही आसानी से उपलब्ध भी हो जाते हैं।
शहरी क्षेत्रों में आने वाले इन लोगों की आय का स्रोत यही रेहड़ी व खोमचे होते हैं। ऐसे में बीआईएस द्वारा तैयार इन मानकों से खाद्य उद्योग के प्रति लोगों के विश्वास को बढ़ावा तो मिलेगा ही, साथ ही जनता भी इन रेहड़ी-खोमचों से सामान खरीदते वक्त अपने स्वास्थ्य के प्रति कम चिंतित होगी।
मामले से जुडे बीआईएस के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘लोगों को स्वास्थ्यवर्धक और गुणवत्तापूर्वक खाने-पीने की चीज उपलब्ध कराने के इरादे से ये मानक बनाये गये हैं। इन मानकों में गुणवत्तापूर्ण कच्चा माल, सामग्री का उपयोग, परिवहन तथा भंडारण के लिये ‘इनसुलेटेड’ बर्तन का इस्तेमाल, प्रदूषण फैलने वाली जगह पर खाने-पीने की चीज नहीं बेचना, सिर ढक कर खाना बनाना, खाना परोसते समय हाथों में दस्ताने पहनना समेत साफ-सफाई का ध्यान रखना, कचरे को सही तरीके से फेंकना, कीट पतंगों से बचाव तथा इस विषय में व्यक्तिगत प्रशिक्षण के मानक शामिल हैं।’’
बीआईएस के अनुसार ‘खाने को बार-बार गर्म करने से भी खाद्य पदार्थ दूषित हो सकता है। शिक्षा तथा जागरुकता की कमी से यह समस्या बढी है जिसे दूर करने की जरुरत है।’
अधिकारी से जब यह पूछा गया कि इस तरह से खाद्य पदार्थ बेचने वालों के पास मानकों के अनुपालन के लिये संसाधन कहां से आएंगे तो उसने कहा कि लोगों में जैसे-जैसे इसके प्रति जागरुकता बढेगी, खाद्य पदार्थ बेचने वाले मानकों को भी लागू किया जाएगा।’’ एक सवाल के जवाब में उसने कहा कि इन मानकों को अनिवार्य करने और उन्हें लागू करने की जिम्मेदारी सरकार पर है और सरकार को ही इस बारे में निर्णय करना है।
बीआईएस ने अबतक 18,700 मानक बनाये हैं जिसमें से केवल 83 अनिवार्य हैं। इन अनिवार्य मानकों में से 12मानक खाद्य पदार्थों से संबंधित हैं। बीआईएस ने इन मानकों को ऐसे दिशानिर्देश के रुप में तैयार किया है जिसके अनुपालन से खामेचे, रेहडी तथा ढाबा में बिकने वाले खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता सुधरेगी और ग्राहकों को स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतर खाद्य पदार्थ मिल सकेंगे।
इससे पहले कई नगर पालिकाओं के स्वास्थ्य विभागों ने बस स्टैंड, स्कूलों के बाहर ठेलों व अन्य चौराहों पर कचौड़ी, समोसे, जलेबी, फल, चाट व अन्य खाद्य पदार्थों को खुले में रखकर बेचने पर रोक लगा दी थी। इसका कारण यह बताया गया था कि खुली पड़ी खाद्य सामग्री पर मक्खियाँ, मच्छर, कीड़े आदि बैठते हैं। ऐसे खाद्य पदार्थ खाने से जन-स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है व गंभीर बीमारियां फैलने का डर होता है। भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा बनाए इन मानकों से रेहड़ी-खोमचे लगाने वालों की खाद्य सामग्री की गुणवत्ता में ज़ाहिर तौर से सुधार होगा। हालांकि समय समय पर इस बात की जांच आवश्यक होगी कि क्या रेहड़ी-खोमचे लगाने वाले इन मानकों का ठीक से पालन कर रहे हैं ताकि इन मानकों को बनाने का मकसद ठीक से पूरा हो सके और जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न हो