Sunday, January 24, 2010

गणतंत्र दिवस तो याद रहा पर उन गरीबो को भूल गए है जिसके नाम पर गणतंत्र दिवस मना रहे है

गणतंत्र दिवस तो याद रहा पर उन गरीबो को भूलगए है जिसके नाम पर गणतंत्र दिवस मन रहे है
२६ जनवरी को हम बड़ी शान से ६० वे गणतंत्र दिवस को मनायेगे और इसकी तैयारी पूरी हो चुकी है | इस दिन को हम इसलिए बड़े उत्साह से इसलिए मानते है क्योकि २६ जनवरी को हमारे सविधान को लागू किया गया था| सविधान का अर्थ होता जिससे किसी देश का शासन चलाया जाता है | एक तरह से ये दिवस हम लोगो आज़ादी की याद दिलाता है , क्योकि

आज़ादी के लगभग 5 महीनो के बाद ही सविधान को लागू किया गया था, इस दिन वो सविधान लागू किया गया था जिससे देश को सही विकाश और सभी को न्याय आदि मिल सके |
हम हर वर्ष बड़ी शान से गणतंत्र दिवस मानते है लेकिन इस गणतंत्र दिवस को मनाने वाली भारत की सरकार शायद अपने देश गण को भूल चुकी है जो इस देश मे रहते है वो गण जो गरीब है महगाई उससे दिन प्रतिदिन कैंसर की तरह पीड़ित कर रही है वो गरीब जो देश की सरकार को अपना वोट देता है क्योकि उसे लगता देश की सरकार उसको समस्याओं से निजात दिलाएगी

हम गणतंत्र दिवस तो मन रहे है पर आज भी हमारे देश का गण गरीबी से और महगाई जैसी न जाने कितनी समस्याओ से लड़ रहा है और मर भी रहा है गणतंत्र दिवस पर हमे तरह- तरह की झाकिया देखते है लेकिन हमारा देश का गरीब गण वह पर कभी नजर नहीं आता |
उस गरीब को तो ये गणतंत्र दिवस देखने को भी नसीब नहीं होता क्योकि एक रिपोर्ट के अनुसार जिस देश की जनता लगभग १८ से कम आमदनी पर गुजरा कर रही है तो भला कैसे ये भारत का गण कैसे इस गणतंत्र दिवस की परेड की १० या १५ रुपे की टिकेट लेकर कैसे देख सकता है और जहा तक बात है टीवी की भारत के कई ऐसे राज्य है जहा पर अभी तक बिजली का रिश्ता दूर का ही नजर आता है फिर उस गण को क्या फ़ायदा जो इस देश मे रहता है उसका इस गणतंत्र दिवस से क्या लेनदेन है वो तो आज़ादी से पहले भी ऐसा था जो आज है बस परिवर्तन हुआ है तो अंग्रेजो की जगह
घुसखोरो ने ले ली है और नेता भी कम नहीं है अंग्रेज तो केवल सरेआम लोगो को कस्ट देते थे लेकिन हमारे देश के नेता
अंदर ही अंदर गरीबो का खून चूस रहे है और गरीब मर रहा है | गरीब तो आज भी आजाद नहीं हुआ है

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