
वो यादे कुछ ऐसी थी...
... लड़कियों की छुट्टी होने से पहले स्कूल पहुंच जाना और क्लास में पहली डेस्क हथियाने के लिए रोज नए हथकंडे अपनाना
---- जल्दी पहुंचकर डेस्क पर बस्ता रखकर डेस्क के फट्टे का बल्ला निकालना और फिर खेल के मैदान की ओर विकेट घेरने के बाद खेलने का दावा करना
---पीटीआई के सीटी बजाने तक और लाइन लग जाने तक आखिरी बोल तक खेलना। फिर चुपचाप फ्ट्टा (बल्ला) रेत में छिपाकर रख देना और फिर कड़ी घूप में दोपहर एक बजे प्रार्थना में खड़े होना।
--- लाइन में सबसे आगे लगना और फिर क्लास में जल्दी जाने के लिए स्कूल के मंच पर जाकर हाजिरी के लिए गिनती बोलना (इससे दो लाभ होते थे,एक तो टीचर अच्छा बच्चा मानते थे और दूसरा धूप से जल्दी निजात मिल जाती थी )
--- क्लास में पहुंचकर घर से ले जाया हुई बर्फ की बोतल निकाल कर पानी पीना-- क्योंकि सब बच्चे आने के बाद सबको पानी ठंडा पिलाना पड़ता था स्कूल में पानी नहीं आता था.
- दो साल तक तो बिना पंखे औऱ बिना लाइट वाली क्लास में बैठना
--फिर लंच का इंतजार करना और उस 15 मिनट में 3 ओवर के मैच को पूरा
करना
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मेरा प्यारा राजकीय सर्वोदय बाल विद्यालय - वेस्ट विनोद नगर
I was a student of this school . From 2008 to 2015 ..I have many sweet memories of this School .I miss it
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