महाशक्ति की आराधना का पर्व नवरात्र शुरू हो चुका है और इसे लेकर शहर के मंदिरों और बाजारों में खास चहल-पहल है। यह पर्व तीन देवियों- पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ विभिन्न रूपों की उपासना के लिए निर्धारित है, जिन्हें हम नवदुर्गा के नाम से जानते हैं। पहले के तीन दिन पार्वती के तीन स्वरूपों की, उसके बाद के तीन दिन लक्ष्मी माता के स्वरूपों की और अंत के तीन दिन सरस्वती माता के तीन स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस त्योहार के दौरान मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है और उनमें खासी हलचल देखी जा सकती है। नवरात्र में और दिनों की अपेक्षा मंदिर के पट जल्दी खुल जाते हैं ताकि श्रद्दालु जितनी सुबह हो सके मां के दर्शन को जा सकें। मंदिरों में आज से भजन-कीर्तन का माहौल बना हुआ है और मां की आरती की विशेष तौर पर तैयारियां की गई हैं। शहर के बाजारों में भी नवरात्र के दौरान रौनक बनी रहेगी। दुकानदारों ने लोगों की पसंद को ध्यान में रखते हुए खास तैयारियां कर ली हैं।
नवरात्र शुरू हो चुका है और ऐसे में दिल्ली के हर मंदिर में हलचल बनी हुई है। मंदिरों में आज लाखों की संया में श्रद्दालु जुटे और उन्होंने मां की अर्चना की। राजधानी में नवरात्र हर साल काफी धूमधाम से मनाया जाता है। नौ दिनों तक मंदिरों में उत्सव का माहौल बना रहता है। आज हम दिल्ली के कुछ ऐसे ही मशहूर मंदिरों की बात कर रहे हैं जहां भक्त हर साल नवरात्र के मौके पर अपनी मनोकामना पूरी करने और मां का आर्शीवाद लेने जाते हैं।
झंडेवालान मंदिर
झंडेवालान मंदिर दिल्ली का बहुत ही पुराना मंदिर है जो मां आदि शक्ति को समर्पित है। मां आदि शक्ति मां दुर्गा का एक अवतार हैं। यह मंदिर दिल्ली के झंडेवालान रोड पर स्थित है। यहां बस या मेट्रो से आसानी से जाया जा सकता है। इस मंदिर में पूरे साल लाखों की संया में श्रद्दालु आते हैं और मां का आर्शीवाद लेकर अपनी मनोकामना पूरी होने की दुआ करते हैं। मंदिर का नाम झंडेवालान शाहजहां के शासनकाल के दौरान दिया गया था। ऐसा कहा जाता है कि झंडेवालान एक समय में पहाड़ी क्षेत्र में स्थित था। जब इस जगह की खुदाई की गई तो मां का पावन स्थल उभरा था और इसी जगह पर मंदिर को स्थापित किया गया। ऐसी मान्यता है कि बद्री भगत, जो कि मां के बहुत बड़े भक्त थे, ने मां का सपना देखा था और मां ने ही उन्हें इस प्रतिमा के बारे में बताया था। उसके बाद मंदिर की स्थापना उसी जगह पर की गई। हिंदुओं के लिए यह मंदिर बहुत ही पवित्र स्थल है। इस मंदिर में हर जाति और ओहदे को लोग आते हैं और पूजा करते हैं। सुबह से लेकर रात तक मंदिर मां के मंत्रों से गूंजता रहता है। जो भी भक्त यहां आते हैं उन्हें मां का आर्शीवाद मिलता है और उनके जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। झंडेवालान में काफी त्योहार मनाए जाते हैं। नवरात्र के दौरान यहां विशेष इंतजाम किए जाते हैं। विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। मंदिर को फूलों और लाइटों से सजाया जाता है। मंदिर का मनमोहक वातावरण श्रद्दालुओं के दिल और दिमाग को सुकून देता है।
कालकाजी मंदिर
कालकाजी मंदिर दिल्ली का बहुत ही पुराना मंदिर है जो मां काली को समर्पित है। यह मंदिर दक्षिणी दिल्ली के कालकाजी में स्थित है। नेहरू प्लेस के पास स्थित होने के कारण यहां जाना बेहद आसान है। ऐसी मान्यता है कि यहां मां कालका की प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई थी। कालकाजी मंदिर भारत का बहुत ही पुराना मंदिर है। यह मंदिर मां कालका या काली को समर्पित है जो की मां दुर्गा का एक रूप हैं। इसे जयंती पीठ या मनोकामना सिद्ध पीठ भी कहा जाता है। मनोकामना का अर्थ इच्छा होता है, सिद्ध का अर्थ पूर्ति और पीठ का अर्थ मंदिर। इसलिए ऐसी मान्यता है कि जो भी इस मंदिर में आकर मां कलिका देवी का आर्शीवाद लेता है उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। इस मंदिर के पास ही मशहूर बहाई लोटस टेपल भी स्थित है जो पर्यटकों के आकर्षण का मुय केंद्र है। इसके साथ ही इस्कॉन मंदिर भी पास ही स्थित है।
वैसे तो कालकाजी मंदिर में पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन नवरात्र के दौरान का नजारा कुछ अलग ही रहता है। नवरात्र के दौरान यहां लाखों की संया में श्रद्दालु आते हैं और मां के दर्शन करते हैं। नौ दिनों तक यहां उत्सव का माहौल बना रहता है। इस मौके पर मंदिर को भी भव्य तरीके से सजाया जाता है। भक्त यहां आकर मां की जय-जयकार के नारे लगाते हैं और साथ ही भजन-कीर्तन पर झूमते नजर आते हैं।
गुफावाला मंदिर
प्रीत विहार स्थित गुफावाला मंदिर पूर्वी दिल्ली का बहुत ही मशहूर मंदिर है। इस साल गुफा को बहुत ही भव्य तरीके से सजाया गया है। गुफा के शीर्ष पर भगवान शिव की एक मूर्ति भी निर्मित है। यहा पर भक्त सुबह चार बजे से मध्यरात्रि तक दर्शन के लिए जा सकते हैं। यहां का मुय आकर्षण मां चिंतापूर्णी और मां ज्वाला देवी के मंदिर है। नवरात्र के दौरान यहां पर लाखों की संया में श्रद्दालु माता के दर्शन के लिए आते हैं। माता की चौकी और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है और नौ दिनों तक यहां ऐसी ही धूमधाम रहती है। यह गुफा 18 साल पूरानी है और यह मंदिर वैष्णो देवी मंदिर की याद दिलाता है।
नीलम माता मंदिर
मयुर विहार फेज 2 में स्थित नीलम माता मंदिर काफी पुराना है और यह गुफा तकरीबन 10-12 साल पुरानी है। इस गुफा का निर्माण मां वैष्णो देवी की गुफा को ध्यान में रखकर किया गया था। यह 500 यार्ड तक फैला हुआ है। इस मंदिर में दर्शन करने का सबसे अच्छा समय शाम 7 बजे से रात के 10 बजे तक है। नवरात्र के दौरान हर सुबह 8 बजे यहां पर दुर्गा शतचंडी महायज्ञ का आयोजन किया जाता है। यहां पर नौ लाईटें लगाई गई हैं जो कि पूरी गुफा को रात भर जगमगाती रहेंगी। नीलम माता मंदिर एक ऐसा मंदिर है जो अपनी भव्य सजावट के लिए काफी मशहूर है।
छत्तरपुर मंदिर
दिल्ली का एक बहुत ही पुराना मंदिर है छत्तरपुर मंदिर। यह कुतुब मीनार से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर बहुत ही बड़ा है और यहां आकर काफी शांति का एहसास होता है। इस मंदिर की बनावट आधुनिक है और यहां पर बड़े पैमाने पर मार्बल का इस्तेमाल किया गया है। मुय मंदिर मां दुर्गा को समर्पित है। मां दुर्गा के अलावा यहां भगवान शिव, विष्णु, लक्ष्मी और गणेश जी के मंदिर भी निर्मित है। भक्त यहां इन सभी देवी-देवताओं की पूजा करने आते हैं। दुर्गा पूजा के दौरान यहां भारी संया में श्रद्दालु आते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि मंदिर के अंदर स्थित पेड़ में धागा बांधने से मनचाही मुराद पूरी होती है। पूरे दिन प्रवचन और आरती चलती रहती है जिसमें कोई भी श्रद्दालु हिस्सा ले सकता है। यह मंदिर बहुत ही बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है और इसकी बनावट में दक्षिणी और उत्तरी शैली का मिश्रण नजर आता है।
बिड़ला मंदिर
लक्ष्मी नारायण मंदिर को बिरला मंदिर भी कहते हैं। यह भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित मंदिर है। 7.5 एकड़ के विस्तृत क्षेत्र में बने इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1933 से 1939 के बीच बी आर बिड़ला और जुगल किशोर बिड़ला द्वारा करवाया गया था। बिड़ला मंदिर का उद्घाटन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हाथों से करवाया गया था। बिड़ला मंदिर के अगल-बगल के हिस्से में बने मंदिरों में भगवान शिव, कृष्ण और बुद्ध की मूर्तियां हैं। झरनों और बागीचे से घिरे इस मंदिर की खूबसूरती देखते ही बनती है। वहीं हिन्दू धर्म के लगभग सभी खास त्योहारों जन्माष्टमी, दूर्गा पूजा और दीवाली में मंदिर को खूब सजाया जाता है। इन साी त्योहारों के दौरान बिड़ला मंदिर आकर्षण का खास केंद्र होता है। मंदिर में प्रवचनों के आयोजन के लिए खास तौर पर गीता भवन नाम की इमारत का निर्माण भी करवाया गया है। यह इमारत भगवान कृष्ण को समर्पित हैं। यह तीन मंजिला मंदिर हिन्दू मंदिर वास्तुकला की उत्तरी या नगारा शैली में बना है। मंदिर के अंदर हर दीवार पर हिंदू पौराणिक कथाओं को दिखाती नक्काशी की गई है। कहा जाता है कि मंदिर में नक्काशी के इस काम के लिए शिल्पकारों को खासतौर पर बनारस से बुलाया गया था। मंदिर का सबसे उंचा शिखर 160 फीट उंचा है। मंदिर का मुख पूर्व दिशा की ओर बनाया गया है। वहीं दीवारों पर बनी फ्रेस्को पेंटिग मंदिर के सौंदर्य को और बढ़ा देती है। मंदिर में स्थापित की गई सभी मूर्तियां विशेष रूप से जयपुर से मंगवाए गए संगमरमर से बनवाई गई हैं। मंदिर के बांयी तरफ बने शिखर में शक्ति की देवी दूर्गा का मंदिर है। वहीं मंदिर के मुय भाग में ागवान नारायण और देवी लक्ष्मी की मूर्तियां हैं। यह मंदिर कनॉट प्लेस की पश्चिमी दिशा में मंदिर मार्ग पर स्थित है। बस और ऑटो से यहां आसानी से जाया जा सकता वहीं अगर मेट्रो से जाना चाहते हैं तो सबसे निकटतम मेट्रो स्टेशन राम कृष्ण आश्रम मार्ग है।
संतोषी माता मंदिर
संतोषी माता मंदिर दिल्ली के हरि नगर में स्थित है। यह मंदिर तकरीबन चालिस साल पुराना है। पहले यहां एक छोटा-सा मंदिर हुआ करता था लेकिन लोगों की आस्था बढ़ती गई और बाद में इस मंदिर का भव्य निर्माण किया गया। संतोषी माता को संतुष्टि का प्रतीक माना जाता है। संतोषी मां की पूजा ज्यादातर महिलाएं करती हैं। ऐसा माना जाता है कि सोलह शुक्रवार का व्रत रखने से मां सभी महिलाओं की मनोकामना पूर्ण करती हैं। नवरात्र के मौके पर यहां भारी संया में भक्त आते हैं और मां का आर्शीवाद लेते हैं। नौ दिनों तक यहां भंडारा चलता है। इस मौके पर 4000 सेवादार यहां मौजूद रहते हैं और हर रोज हजारों की संया में श्रद्दालु यहां मां के दर्शन के लिए आते हैं।