विशेष रिर्पोर्ट- निहाल सिंह । राजधानी में अब भी गरीब परिवार के लोगों को
समय पर उचित इलाज न मिलने के कारण अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है। जबकि आर्थिक रुप से कमजोर लोगों को बेहतर चिकित्सा देने में राज्य
सरकार ने कई योजनाओं को क्रियान्वित किया है। उसके बाद भी इन लोगों को इलाज के लिए
अस्पतालों में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसके पीछे सरकार द्वारा चलाई जा
रही योजनाओं की सही जानकारी न होना व अस्पतालों के दोहरे रवैये मुख्य कारक बन कर उभरे
हैं।
अस्पतालों में गरीबों को नि:शुल्क चिकित्सा मिल सके इसके
लिए सरकार ने विधिवत उद्घोषणा जारी की है। सरकार ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार
प्रत्येक अस्पताल में आर्थिक कमजोर वर्ग के रोगियों को अन्तरंग चिकित्सा (आईपीडी) के
लिए 10 प्रतिशत बिस्तर और बाह्यय चिकित्सा (ओपीडी) के लिए 25 प्रतिशत बिस्तर आरक्षित
होते हैं। वर्तमान में मैक्स अस्पताल, बतरा अस्पताल, सर गंगा राम अस्पताल के साथ
40 निजी अस्पतालों में आर्थिक रुप से कमजोर वर्गों के लोगों को नि: शुल्क चिकित्सा देने के लिए बाध्य हैं।
सरकार का कहना है कि जिस किसी व्यक्ति की आय 7254 रुपये या उससे कम हो उन्हें
नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा मिलेगा। साथ ही निम्न वर्ग से संबध रखने का प्रमाण पत्र जैसे
बीपीएल राशन कार्ड, जिला मजिस्टेट द्वारा जारी आय प्रमाण पत्र रखने वाले भी सुविधा
का लाभ उठा सकेंगे। यह सुविधा एक परिवार के उन लोगों को भी मिलती है जिनका नाम राशन
कार्ड या या निम्न वर्ग से संबध रखने वाले प्रमाण पत्र पर दर्ज हो। इन सब चीजों के
साथ साथ मरीज के या मरीज के किसी परिचर द्वारा एक कमजोर आर्थिक वर्ग से संबघ रखने का
घोषणा पत्र भी देना होता है। साथ ही आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के लोगों के साथ वह जरुरतमंद
लोग भी नि:शुल्क इलाज की सुविधा फायदा उठा सकते
है जिन्हे दिल्ली दिल्ली सचिवालय के सचिव या स्वास्थ्य मंत्री या सचिव द्वारा सिफारिश
की जाती है।
ऐसे में राजधानी के सभी कमजोर वर्ग तक सरकार की नि:शुल्क चिकित्सा व्यवस्था
प्रभावी तौर पर पहुँच सके इसके लिए लगातार कोशिशें की जा रही हैं। सरकार का कहना है
कि अगर कोई भी इन सारी शर्तों को पर खरा होता है तो उसे सरकारी सुविधा मिलेगा। इस तरह
लोगों को सभी कागजात दिखाने के बाद दिल्ली के सरकारी और चिन्हित निजी अस्पतालों में
अपना नि:शुल्क इलाज करा सकते हैं।
इस बाबत समाज सेवी अमित मिश्रा का कहना है कि दिल्ली सरकार ने राजधानी में
भले ही आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के लोगों को नि:शुल्क
इलाज की सुविधा दी है, लेकिन जागरुकता का अभाव व चिन्हित अस्पतालों के दोहरे मापदंड
की वजह से लोग इन सुविधाओं का लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं।