Sunday, February 28, 2010

बुरा ना मानो महगाई है !















होली आ गई है बाजारों में भीड़ पहेले की मुताबिक कम है क्योकि महगाई ने होली के रंगों को हल्का कर दिया है , इस बार होली का रंगों और पिचकारियो के आसमान छु चुके दामो ने लोगो के चेहरों के रंग उडा दिए है .........
भैया चारो तरफ महागाई है फिर कहा किसे सुध होली की आई है ?????????????
इस मोके पर चार पंक्तिया पेश करने की मन में आई है
होली आई है रंगों की
महगाई ने वाट लगाईं है रंगों की
पिचकारी भी चल रही है बिन पानी के
क्योकि पानी के दाम बढने के बाद होली आई है
चीनी के बड़े दामो से .......
गुजिया भी लग रही है फीकी
पापड़ भी कच्चे खाने पढ़ जायेंगे
क्योकि तेल बिन हम यही कर पाएंगे
कैसे जायेंगे रिश्ते दारो के घर
क्या पेट्रोल क्या शीला दीछित के चाचा भरवाएंगे
प्रणव ने बजट में महगाई ही महगाई दिखाई है
और इस बात के साबशी पाई है की उसकी सरकार फिर एक बार महगाई रोकने में नाकामयाब नजर आई है
भैया हो जाओ तैयार फिर आम आदमी की सरकार आम आदमी को मरने को आई है
क्योकि ये मुशीबत निहाल सिंह को सताई है इसलिए ये नै पोस्ट कर दी हमने भाई |

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