Wednesday, May 5, 2021

सिस्टम हैं या लाश हैं...

मुझे तलाश है सिस्टम की 
तुम तो लाश हो गये क्योंकि आक्सीजन कम थी

तड़प रहा हूं तेरे दर पर आकर
कोई तो सांस ही दे दें मेरे घर पर आकर

होटलनुमा जो तुमने अस्पताल बनाए हैं
किसी काम के नहीं जब दरवाजे पर चीखें और श्मशान में चिताएं हैं

किसी की मां को चाहिए, किसी के बाप को चाहिए, किसी के दादा को चाहिए किसी की दादी को चाहिए 
एक बेड दिलाने के लिए ऊपर तक पहचान चाहिए

तुम तो कहते तो तुम रखवाले हो
पर सांस ही न दे पाएं तो किस बात का अंहकार पाले हो

तुम दावें बड़े-बड़े करते हो
जब खुद बीमार हो प्राइवेट अस्पताल में बेड ढूंढते हो

मुझे तो एक बेड दिलाने में कई रातें लग गई
पर तुम्हारें छींक आने पर ही कैसे आक्सीजन लग गई

मुझे तलाश है सिस्टम की 
तुम तो लाश हो गये क्योंकि आक्सीजन कम थी

आक्सीजन की कमी से केवल इंसान नहीं मरा है
मरा तो सिस्टम भी है जिसके लिए निहाल कफन ढूंढ रहा है

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