Saturday, June 8, 2013

फ्रैक्चर को न करें नजरअंदाज,बन सकता है जिंदगी भर का दर्द

निहाल सिंह ।
नई दिल्ली। युवा कामकाजी प्रोफेशनल 25 वर्षीय प्रिया कुकरेजा ने इस उम्र में अप्रत्याशित स्वास्थ्य समस्या के बारे में कभी नहीं सोचा था जब तक कि वह दुर्घटनावश बर्फ पर फिसल नहीं गई और उसकी कोहनी टूट नहीं गई। प्रिया ने इसे हल्के में लिया। शुरु में दर्द नहीं हुआ,लेकिन बाद में टूटी हड्डी की जगह सूजन आने से परेशानी बढ़ गई। जबतक वह आर्थोपेडिक डॉक्टर के पास गई तबतक नुकसान हो चुका था। उसके कोहनी में हड्डी गलत जगह से जुड़ने की वजह से उसके हाथ टेढ़े हो गए।
जब इस युवा महिला की जांच की गई तो एक्स-रे में हड्डी के कई टुकड़े के साथ जटिल फ्रैक्चर पाया गया। उसकी दाहिनी कोहनी में दर्द, सूजन भी थी और उसे हिलाना- डुलाना मुश्किल था। उसकी कोहनी का एक जटिल अपरेशन किया गया और हड्डी के टुकड़ों को विशेष  प्लेट और स्क्रू से फिक्स किया गया। इस प्रक्रिया के तीन महीने बाद, वह अब सामान्य रूप से अपने हाथ को हिलाने - डुलाने में सक्षम है। यदि समय रहते इलाज किया जाता तो प्रिया को इतना परेशान होने की जरुरत नहीं थी।
फ्रैक्चर को न लें हल्के में
फोर्टिस अस्पताल के आर्थोपेडिक विभाग के अध्यक्ष डॉ जीके अग्रवाल कहते हैं कि शरीर के किसी भी हिस्से में फ्रैक्चर होना ठीक नहीं है। यदि फ्रैक्चर हो भी गया है तो इसके सही इलाज की जरुरत है। यदि इसे नजरअंदाज किया जाएगा तो यह जीवन भर का दर्द बन सकता है। डॉ अग्रवाल के मुताबिक कोहनी ऊपरी अंग के सबसे महत्वपूर्ण भागों में से एक है और इसके फ्रैक्चर का सही ढंग से इलाज नहीं कराने पर यह काफी परेशानी पैदा कर सकता है। कोहनी में फ्रैक्चर के कारण उसे हिलाने-डुलाने में परेशानी और जकड़न जैसी जटिलताएं हो सकती हैं।
फ्रैक्चर का क्या है इलाज?
सफदरजंग स्पोर्ट्स इंज्यूरी सेंटर के निदेशक डॉ दीपक चौधरी कहते हैं कि यदि हड्डियों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा हो तो जल्द मूवमेंट पर बल दिया जाता है, या स्लिंग, कास्ट या स्प्लिंट जैसे सामान्य उपचार किए जाते हैं। विस्थापित या अस्थिर फ्रैक्चर होने पर क्षतिग्रस्त हड्डियों को फिर से संगठित करने और फिर निर्माण करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है।
हड्डियों को सही स्थिति में लाने के लिए किसी विशेषज्ञ के द्वारा सर्जरी कराना महत्वपूर्ण है। जोड़ों की हड्डियों को सही तरह से फिट किया जाना जरूरी है ताकि दुर्घटना के बाद हड्डियां जिग-सा पजल की तरह फिट नहीं हों, क्योंकि ऐसा होने की संभावना होती है। इस प्रक्रिया के बाद रोगी के सामान्य कामकाज करने की संभावना बढ़ जाती है।
डॉ चौधरी कहते हैं कि अस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग लोग खराब किस्म के फ्रैक्चर के प्रति विशेष रूप से संवदेनशील होते हैं,क्योंकि उनकी हड्डियां कमजोर होती हैं और उनके टूटने की भी आशंका अधिक होती है। हड्डी का फ्रैक्चर हमेशा इतना खतरनाक नहीं होता हैं, लेकिन स्थिति के खराब होने नहीं देने के लिए बहुत सावधान रहना चाहिए और उचित चिकित्सकीय सलाह और देखभाल लेना चाहिए ताकि स्थिति और बिगड़े नहीं। चोट लगने के बाद सतर्क रहना चाहिए और इलाज करने में विलंब नहीं करना चाहिए। इससे मरीज को दोबारा शीघ्र चलने-फिरने लायक बनने में आसानी होती है।

1 comment:

  1. Thanks for sharing very useful information. Mend fracture immediately. Do not be careless. After healing fracture you can take herbal supplement for joint pain.Visit http://www.jointpainclinic.com/body-aches-pains-natural-relief-for-muscle-joint-pains.html

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