Sunday, August 1, 2010

मन करता है कुछ लिखू



मन करता है कुछ लिखू 
फिर सोचता हु की क्या लिखू
उनके लिए लिखू जिन्हें सुबह के खाने क बाद शाम के खाने का पता नहीं होता 
या उनके लिए लिखू जो जिन्हें सुबह खाने के बाद शाम का खाना पहेले से ही उनका इन्तजार करता है|||||
फिर मन करता है की कुछ लिखू 
की सोचता हु की ऐसा लिखू की
 शायद इस देश में  ऐसा हो जाये 
रात को कोई माँ और उसका बच्चा भूखा न सो जाये |||
जिसके वजह से माँ की आँख में अपने लाल के लिए कभी आशु न आये 
मन करता है की कुछ लिखू 
फिर सोचता हु की क्या लिखू 
ऐसा लिखू जो दूसरो के काम आये 
या ऐसा लिखू जो इतिहास बन जाये ||
मन करता है की कुछ लिखू 
फिर सोचता हु की क्या लिखू 
फिर थोड़ी ख़ुशी आती और मन कहता है 
कोई तो  आये जो मेरे मन को समझाये |||
की दिल की बात दिल में न रह जाये 
अभी समय है पता नहीं कल आये या न आये
कल ईशवर ने तुजे बुला लिया तो 
कही धरती पर आने  का मकशद  पूरा हो पाए 
और फिर आने वाले सालों में कई माँ कही बुखी न सो जाये |||
मन करता है कुछ  लिखू 
की सभी ऐसे बन जाए  की की कोई किसी निर्बल पर हावी न हो पाए ||||
मन कहता है की तू लिख जो 
और तू कर भलाई 
और तेरी सुनेगा कोई हिन्दुस्तानी भाई |||||
आएगी तेरी किस्मत में ऐसी खुसिया 
जो पहेले ही लिखी जा चुकी है
और होगा भला जो तू करेगा भला 
बस इतनी सी बात ,,,,,,,,,, थी मेरे मन में 
जो मेने आपसे कह दी है.........................




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