Monday, January 4, 2010

आते आते पत्रकार
सबी लोगो की तरह मैंने भी २००९ में १२ साल स्कूल जाकर आखिर बारहवी पास कर ही ली
जब पड़ना था तो हम मस्ती करा करते थे स्कूल में डेस्क का बात बनाकर क्रिकेट खिलते और
पुरे दिन मस्ती करते हा बस स्कूल में एक क्लास जरुर लेना पसंद था क्योकि मुझे भूगोल
पड़ना अच्छा लगता था और भूगोल के सर मुझे बहुत प्यार करते थे मेरे दोस्त भी मेरा खेलेने में बहुत
साथ देते थे वो भी मेरे साथ क्रिकेट खिलते और हम घुमने चले जाते !
लेकिन समय बीत चूका था और धीरे धीरे एक्साम का त्यौहार भी आ गया था और मेने अबी तक कुछ नहीं
पड़ा था और मुझे अब ये चिंता सताने लगी की अब में पास कैसे होगा क्योकि मेने पुरे साल कुछ भी नहीं पड़ा था
लेकिन अब मेने एक फैसला लिया की अब हम सब मिलकर पड़ेगे और बढ़िया नंबर से पास होंगे
फेबरी में मेरी सिस्टर सादी थी फिर मेने सोचा जो हुआ जो हुआ लेकिन अब पड़ना था में और मेरे दोस्त पेपर सुरु होने से पहेले हमने प[अदना सुरु कर दिया और हम लोग एक साथ पड़े और हमारा एक दोस्त एक महिना पड़कर स्कूल टॉप कर दिया और हम भी जेयदा नहीं तो सही नंबर से पास हो ही गए
रिजल्ट आने के बाद हम कॉलेज में दाखिले के लिए दोड़ने लगे मेरी परेशानी को देखते हुए मेरे पापा ने मुझे बिजली वाली स्कोटी दिल्ला दी और हम उसी से दकिले की दोड में लग गए हमने कई जगह फॉर्म भरे और कई
जगह पेपर दिए और और कई जगह पास हुए और कई जगह फ़ैल इसी समय हमने पत्रकार बनने के लिए के लिए
D.U में फॉर्म भी भर दिया और पेपर देकर पास भी हो गए और हमारा नाम भीम राव आंबेडकर कॉलेज में आ गया और हमने धकिला ले लिया दाखिला सिर्फ हम दो जानो को ही मिल पाया था
और यही से सुरु हो गए वो मौज मस्ती के दिन .............फिल्म अभी बाकि है मेरे दोस्त

4 comments:

  1. acha likha nihal tumne apna anubhav online kiya ye tumme kafi achchi baat hai but ab padai me lag jao varna aane wale yeras me percentage kichne mushkil ho jata hai......... or ha ek chiz hamesha dhyan rkhna patrakarita padne ki nahi samjhne wali chiz hai.....

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  3. yaar tumne hm sbki vytha bade achhe se prstut ki hai tm dhanywaad ke patr ho.

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  4. yaar tune puraane din yaad dila diye kasam se

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