आज पता नही क्यों पर मेरी आंख रात्रि के समय दो बजे ही खुल गयी। मुझे
भी समझ नही आ रहा क्यों आज मुझे नींद नही आ रही है। लेटे हुए दिमाग इधर-उधर धूमने
लगा की आखिर आज नींद यू अचानक कैसे टूट गयी। ऐसा परिवार के अन्य सदस्यों के साथ जब
हुआ करता है जब कोई अपना नजदीकी या तो संकट मैं होता है या फिर कुछ गलत होने वाला
होता है। अब तो बस प्रभु मालिक है कि आज एकदम अचानक नींद क्यों टूटी । इस नींद टूटने के कारण जो भी हो लेकिन एक बात
मेरे मस्तिष्क में गोल-गोल धूम रही है कि मैं कुछ ज्यादा ही भावनाओं बह जाता हूं।
कभी-कभी यह भी सोचता हूं कि मैं इस तरीके
लोगों के सामने राष्टवादी विचारों को रखता हू तो कही उनको यह न लगता हो कि
यह तो मूर्ख है कुछ ज्यादा ही भावनाओं में संवेदनशील हो जाता है। बहरहाल जो भी मैं
जिस विचार का समर्थक हू और जहां तक उन विचारों के मै अभी तक समझ पाया हू उन
विचारों को जन्म देने वाले गौरवशाली व्यक्तियों ने कभी इस बात की परवाह नही की लोग
आपके राष्ट के हित मैं किए गए काम को लेकर क्या सोचते है। उन्होनें तो सिर्फ इस
बात की परवाह की किस तरह ज्यादा-ज्यादा से सनातनी का भला हो।
Saturday, February 2, 2013
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